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इसकी कीमत आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी।
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विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे कोयला, तेल और गैस आदि की कीमतों के आधार पर बिजली दरें तय की जाएंगी।
इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी। इस नए प्रावधान के अगले साल के शुरुआत से प्रभावी होने की संभावना है इसमें फर्क सिर्फ इतना होगा डीजल-पेट्रोल की दरों में रोजाना बदलाव होता है जबकि बिजली दरों में बदलाव हर महीने होगा।
विद्युत (संशोधन) विनियम 2022 का मसौदा जारी कर दिया गया है।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उप सचिव डी. चट्टोपाध्याय की ओर से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक सुझाव मांगे हैं। मसौदे के पैरा 14 में यह प्रावधान है कि वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी
यद्यपि विद्युत क्रय अनुबंध पीपीए में ईंधन की बढ़ी कीमत वितरण कंपनियों से वसूलने का प्रावधान नहीं है, लेकिन इसमें
विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगे, उनके हितों को देखते हुए विद्युत विनियम 2005 में संशोधन किया जा रहा है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो। इसकी कीमत आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी।