मक्के के रूप में साल की तीसरी फ़सल भी उगाए किसान: डी.एम

■जिलाधिकारी ने कृषि विज्ञान केन्द्र, मल्हाना का किया निरीक्षण, दिये आवश्यक निर्देश

क्रॉम्लैण्ड नामांकन कीर्तिमान प्रताप सिंह ने आज प्रतिष्ठित कृषि विज्ञान केन्द्र, मल्हाना का निरीक्षण कर कृषि क्षेत्र में हो रही प्रगति का लाभ किसानों तक निष्कर्ष के संबन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जिले में पॉम ऑयल की खेती की जाए और मोनसेंटो प्लांट के मक्का की खेती का लाभ किसानों को मिले। इससे किसानों की तकदीर बदल जाएगी।
नॉर्वेजियन ने कहा कि जिले में आम तौर पर वर्ष प्रति वर्ष दो ही फसल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। अप्रैल से जून तक आमतौर पर किसानों के खेत खाली रहते हैं। इस अवधि में मोनसेंटो इंस्टीट्यूट के मक्के की खेती से किसान वर्ष की तीसरी फसल प्राप्त कर सकते हैं। इसका प्रयोग साइलेज उत्पाद के साथ-साथ किसानों के आय में भी होगा। सेंटो आर्किटेक्ट का मक्का तीन महीने में तैयार हो गया है। उन्होंने जिले के प्रगतिशील क्रांतिकारियों का प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए।

इसी तरह पॉम ऑयल और अरहर की मेड पर उगने वाली कंपनी को प्रोत्साहन प्रस्ताव के लिए निर्देशित किया गया।
नॉर्वेजियन ने प्रोजेक्ट आर्या के तहत पांच दिव्य रेखाचित्र प्रशिक्षण सत्र का भी खुलासा किया। उन्होंने पालकों को शामिल करते हुए बताया कि उन्होंने पालकों के बक्से को सरसो, मध्य खेत में विभिन्न सामानों का भी उल्लेख किया। इससे जुड़ी झूठ के साथ छिपकली का भी उत्पादन होता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ. मंधाता सिंह ने केंद्र को केंद्र के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले के आठ जिलों में दलहन, तिलहन, जेनहू, चावल समेत विभिन्न खेती के उन्नत कृषि विकास केंद्रों में बीजोत्पादन किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय किसानों का मध्य क्षेत्र शामिल है। नॉर्वे ने कृषि विज्ञान केंद्र के फॉर्म का भी निरीक्षण किया। फॉर्म में आर्किटेक्ट डाउनटाउन का स्ट्राबेरी, गिरिजा आर्किटेक्ट का फूल गार्डन, काशी उदयजा स्टूडियो का फूल गार्डन, शुभ्रा स्टूडियो का काबुली चना, आईपीएल 220 आर्किटेक्चर का मसूर, काशी इंस्टीट्यूट का बाकला सहित विभिन्न फ़ासल लगे मिले।

मान्यता ने एक छोटी से मड़ई में स्थापित मशरूम उत्पाद केंद्र का भी निरीक्षण किया।

कृषि वैज्ञानिक एवं रासायनिक यौगिक उत्पादन विशेषज्ञ डॉ. स्टूडियो ने बताया कि वर्तमान समय में 50 से अधिक वैज्ञानिक एवं रासायनिक यौगिक उत्पादन सक्रिय हैं।

इस अवसर पर प्रोटोटाइप भाटपाररानी हरिशंकर लाल, दोयम दर्जे के साथी युगल सिंह सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।

*गोभी मूली, भूरे रंग के चंदन और रंग-बिरंगी फूल की पत्तियों का होता है उत्पादन*
कृषि वैज्ञानिक डॉ. मांधाता सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में विभिन्न प्रकार के मूंगफली का बीज का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें गुलाबी मूली के भूरे रंग के मूंग, गुलाबी और पीले रंग के फूल शामिल हैं। रंग-बिरंगी फूल की पत्तियां शामिल हैं। इसके अलावा तीसी जैसे किसानों को भी मध्य प्रदेश में लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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