नागराज धाम उरई के ‘दिव्य’ दरबार में आज फिर देखने मिला ‘चमत्कार’ ?
■ क्या जल में छिपा है चमत्कार?
■ या फिर है आज भी मंत्रो में शक्ति?
■क्या बरस रही है यहां भोले बाबा की चमत्कारिक कृपा?
■क्या है रहस्य यहां के दिव्या दरबार के जल मे जाने।
अगर आप में भी है उत्सुकता चमत्कारिक रहस्यों जानने की तो पहुंचे नागराज धाम उरई जालौन श्री सत्य महाराज के दरबार में
नागराज धाम सरकार (Nagraj Dham Sarkar) श्री सत्या महाराज अपनी चमत्कारिक शक्तियों की वजह से इन दिनों मीडिया सुर्खियों में जनपद जालौन मे ही नही अपितु कई राज्यों मे चर्चा का विषय बने हुए हैं दरअसल, नागराज धाम के महाराज श्री सत्या महाराज सरकार का दावा है कि वे लोगों के भूत, वर्तमान व भविष्य पर होने वाली प्रतिक्रियाओं के बारे में आपकी जन्म तिथि द्वारा आपका सारा चिठ्ठा बता देते हैं और जान जाते हैं। इसके साथ ही वे किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान भी बता देते हैं।
यहाँ पर महाराज जी विश्वास करा देते है कि उनके द्वारा जल को मंत्र का उच्चारण कराकर रोगी को जो दिया जाता है उससे रोगी को अचानक लाभ का एहसास भी हो जाता है इससे भक्तो को मंत्रो की शक्ति का एहसास भी हो होता है और लोग सनातन धर्म के आस्था भाव भी रखने लगे हैं।
बढ रही लगातार भक्तो की संख्या।
यहां लगातार भक्तों की , प्रेत बाधाओ से परेशान लोगों की, गृह कलह से परेशान लोगों की , लोगों से परेशान रोगियों की समस्या से निदान पाने के लिए जो भी कई कई जगह भटक कर फिर यहां नागराज दरबार पर आते हैं वहां महाराज जी इन भक्तों की समस्या का समस्या का निस्तारण भी बड़े साधारण ही भाव में कर देते हैं। और यहां से समस्या से परेशान व्यक्ति प्रसन्न होकर अपने घर जा रहे हैं यहां पर भक्तों से चर्चा करने के बाद जाना कि यहां जो दरबार मे लगातार संख्या बढ़ रही है और भक्तों को सफलता मिल रही है निसंदेह यह नागराज धाम द्वारा कृपा शक्ति ही है व भक्तों का विश्वास है जो आज लोग यहां नागराज धाम पर अपनी समस्या का निदान पाकर खुश व लाभ पा रहे है।
जानेंगे, क्यों हिंदू धर्म में परिक्रमा को माना जाता है महत्वपूर्ण और इसके पीछे क्या है अध्यात्मिक व वैज्ञानिक कारण? लेकिन इससे पहले हमें यह जानना चाहिए कि मंदिर क्यों जाना चाहिए?
सावन के आखिरी सोमवार पर रही मन्दिरो पर भीड । वही भक्तों ने की महादेव की आराधना व महादेव की पूजा आरती।
सावन के आखिरी सोमवार पर सुबह स्नान के बाद व्रत और शिवजी की पूजा का संकल्प लेंकर सुबह शुभ मुहूर्त में भक्तों ने शिव मंदिर में जाकर व कुछ ने घर ही शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा अर्चना की
वही आज नागराज धाम उरई के शिवमंदिर मे श्री सत्या महाराज चित्रकूट धाम ने भक्तो सहित गंगाजल या दूध से शिवजी का अभिषेक इसके बाद भगवान शिव शम्भू को को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म और फूलों की माला अर्पित कर
शिव जी शहद, फल, मिठाई, शक्कर, धूप-दीप अर्पित किया गया फिर शिव चालीसा का पाठ और सोमवार व्रत कथा का पाठ कर आखिर में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ की आरती की गयी ।
वही श्री सत्या महाराज ने बताया मंदिर शब्द का अर्थ और कहा “मन से दूर कोई स्थान” अर्थात ऐसा पवित्र स्थान जहां मन और ध्यान अध्यात्म के अलावा किसी अन्य चीज पर न जाए। मंदिर को आलय भी कहा जा सकता है, जैसे- शिवालय इत्यादि। जब हम मंदिर जाते हैं तब हमारा मन भोग, विलास, काम, अर्थ, क्रोध इत्यादि से दूर हो जाता है। यहां व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
क्यों की जाती है मंदिरो मे ईश्वर की परिक्रमा?
महाराज जी ने बताया कि जिस दिशा में घड़ी घूमती है उसी दिशा में मनुष्य को प्रदक्षिणा अर्थात परिक्रमा करनी चाहिए। माना जाता है कि जब एक व्यक्ति उत्तरी गोलार्ध से दक्षिण गोलार्ध की ओर घूमता है तब उन पर विशेष प्राकृतिक शक्तियों का प्रभाव पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि देवस्थान की परिक्रमा करने से व्यक्ति के अंदर मौजूद नकारात्मक शक्तियां समाप्त हो जाती है और देवी-देवता व इष्ट देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्यो की जाती है भगवान शिवजी की अर्ध परिक्रमा बताया महाराज ने।
महाराज जी ने कहा कि शास्त्रों में यह विदित है कि भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है। जलाभिषेक के बाद जिस स्थान से जलधारा निकलती है उसे लांघने की मनाही है।
इसलिए भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा का ही विधान है।
ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।