क्या आप खुश किस्मत हैं? कि आपके साथ कभी कोई साइबर फ्रॉड नहीं हुआ।
- आप बच सकते साइबर क्राइम से बशर्ते आप लोग (सीईआईआर) बारे में जागरूक हों और इसे इस्तेमाल करना सीख जाएं
रिपोर्ट : विनय पचौरी
focusnews24x7.com
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- आज हालात तो यह है कि पैसे को संभालने वाले सरकारी तंत्र के प्रबंध तक निहायत कमजोर साबित दिख रहे हैं
आप खुश किस्मत हैं कि आपके साथ कभी कोई साइबर फ्रॉड नहीं हुआ ।
तो सरकार को ऐसे लोगों की मिसाल देश के सामने रखनी चाहिए ।
आप किसी साइबर फ्रॉड से बच जाने की अकेली बजह यह नहीं है कि आप क्रेडिट डेबिट या एटीएम कार्ड मोबाइल बैंकिंग और रजिस्टर लेन-देन का कोई भी काम करते समय बेहद सतर्क रहते हैं बल्कि इसका एक कारण आपका डिजिटल प्रबंधों को लेकर संकोच और कुछ में डिजिटल की अज्ञान भी हो सकता है वरना हालात यह है कि इंटरनेट की मामूली जानकारी रखने वालों के आगे बेहद पढ़े लिखे लोग और डाटा और रुपए पैसे को संभालने वाले सरकारी तंत्र के प्रबंध तक निहायत कमजोर साबित दिख रहे हैं सरकार इसे लेकर संजीदा है कि तेजी से बढ़ रहे साइबर फर्जीवाड़े रोके जाएं।
एक ताजा पहल में पाया जाता है मोबाइल ट्रैकिंग सिस्टम अंर मजबूत बनाना है।
हाल में लांच किए गए केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर यानी सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) के जरिए यह व्यवस्था बनाई जा रही है
कि देश में अगर कोई शख्स चोरी अथवा खो चुके अपने मोबाइल फोन को ट्रैक करना और उसे ब्लॉक करना चाहे तो ऐसा कर सकता है।
अभी तक ऐसी सुविधा एप्पल के आईफोन धारकों को उसकी निर्माता कंपनी एप्पल आईडी के नाम से प्रदान करती रही है ।
लेकिन अब (सीईआईआर) से हर कोई अपने सामान एंड्रॉयड फोन में भी ऐसा कर सकेगा यह प्रबंध साइबर फर्जीवाड़ा की जड़ पर प्रहार कर सकता है
बशर्ते आप लोग इसके बारे में जागरूक हों और इसे इस्तेमाल करना सीख जाएं आमतौर पर ज्यादातर साइबर डिजिटल धांधली का केंद्र वह स्मार्टफोन ही होता है जिसमें व्यक्ति की पहचान लेनदेन के इंतजाम विभिन्न ऐप के जरिए किए गए हो ।
साइबर फर्जी वालों के तार सिर्फ इंटरनेट से नहीं जुड़े बर्तन कपड़े से लेकर मोबाइल के बदले में जीरे धनिए का लालच देकर पुराने मोबाइल फोनों की खरीद-फरोख्त सिम हासिल करना फर्जी आधार कार्ड बनवा लेना यह सब हमारे देश में इतना आम हो गया है कि अपराधी की नियत से कोई भी व्यक्ति सैकड़ों सिम आधार कार्ड और लाखों की निजी जानकारियां हासिल कर लेता है सबसे ज्यादा मुश्किल उन लोगों के लिए है जिन्हें बैंकिंग खरीदारी के वर्चुअल बिका मजबूरी में अपनाने पड़े हैं जिन्हें साइबर उपायों की जानकारी बिल्कुल नहीं है ऐसे लोग एटीएम में पैसा निकालने के लिए अक्सर अनजान लोगों की मदद लेते हैं
इसी तरह जो ओटीपी वन टाइम पासवर्ड लेन-देन में जरूरी बनाया गया है उसकी जानकारी भी सहजता से किसी को भी दे देते हैं
समस्या का दूसरा पहलू देश में हुई डिजिटल क्रांति से जुड़ा हुआ है
देश में 1 जुलाई 2015 से शुरू हुए डिजिटल इंडिया नामक कार्यक्रम का पवित्र उद्देश्य तो देश के गांव-गांव में साइबर पहुंचाना और हर नागरिक को हाई स्पीड इंटरनेट से जुड़ना है इससे प्रत्येक नागरिक को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा और बैंकिंग पढ़ाई खरीदारी के अलावा आसन काम घर बैठे हो सकेंगे संदेह नहीं कि बीते साल बरसों में इंटरनेट आधारित कामकाज की यह व्यवस्था हमारे जीवन में काफी गहरी बैठकर गई है करो ना काल में आपको देख सकते हैं इंटरनेट के बगैर पता नहीं चलता था लेकिन उससे कई गुना ज्यादा सिर दर्द है
साइबर फर्जीवाड़ा करने वाले अनगिनत लोगों की मौज और उनकी फौज ने पैदा कर दिया है
यह साइबर अपराधी हर राज्य के बदनाम हो चुके हैं कस्बे जामताड़ा से लेकर हरियाणा राजस्थान और दिल्ली एनसीआर तक की गलियों और अंधेरे कमरों में कंप्यूटर के पीछे मौजूद हैं और हर दिन लोगों को चूना लगाने की नई-नई युक्तियां बढ़ा रहे हैं डिजिटल इंडिया की एक बेहद सकारात्मक पहल को ज्यादातर मामलों में बेरोजगार और आईटी के बेहद मामूली जानकारों ने पतीला लगा दिया है हैरानी होती है तब जब सरकारी विभागों और जनता को साइबर क्राइम से बचाने का जिम्मा जिन पढ़े-लिखे कर्मचारियों अधिकारियों के कंधों पर है उन्हें कुछ अल्प शिक्षकों ने न्यूनतम संसाधनों के बल पर अपने साइबर ठगी से ठेंगा दिखा दिया है ।
साइबर अपराध अब अंतरराष्ट्रीय और अंतर्देशीय स्तर पर गिरोह बनाकर काम कर रहे हैं इसलिए खातों से उड़ाई गई रकम रातों-रात एक देश से बाहर दूसरे ठिकानों पर चली जाती है।
ऐसे में देश के कानून बेईमानी हो जाते हैं यही समस्या मोबाइल ट्रैकिंग जैसी तकनीक प्रबंधकों की है
- ऐसे में सरकार का यह जिम्मा बनता है कि वह कानून बनाने के साथ कड़ी सजा के प्रावधान भी करें और
- साइबर थानों में दर्ज हर शिकायत पर कार्यवाही सुनिश्चित करें
यदि साइबर अपराधियों की धरपकड़ कर उन्हें बेहद सख्त सजा देने में देरी लाई गई तो यह मर्ज एक लाइलाज महामारी की तरह बढ़ता ही जाएगा