*डूबते व उगते सूर्य को अर्घ देकर बर्ती महिलाओं ने की उपासना*

प्रतापपुर, देवरिया,19 नवम्बर, रविवार

 

बी0 खण्ड बनकटा के सीमावर्ती क्षेत्रों में मुहाल नदी झरही के किनारे,पोखरा,तालाब के किनारे बने

छठ घाट पर व्रती महिलाएं डूबते व उगते सूर्य को अर्घ देकर पूजा अर्चना की,साथ ही परिवार की खुशी की कामना की।छठ पूजा प्रकृति पूजा है।

जिसमें विशेष कर लोग नारियल, अन्नास,गागल, कोन सुथनी, गन्ना, शरीफा, मूली,हल्दी कुहाड़ा,अदरक,केला,पान कसैली,अरता के पत्ता,के साथ मिठाई, फल भी अर्घ में अर्पण करते है।वैसे पुराणों में छठ पूजा की अलग अलग इतिहास है।कुछ जगह दानवीर कर्ण के जीवन से तो कुछ जगह द्रोपति के जीवन से तो कही कहि भगवान राम के जीवन से मानते हैं।कहा जाता है कि “मुग्दल ऋषी ने रामजी और माता सीता जी को यज्ञ के लिए अपने आश्रम में बुलाया,मुग्दल ऋषि के कहने पर माता सीता ने कार्तिक शुक्ल की षठी तिथि को सूर्य देव की उपासना कीऔर ब्रत रखी।इसके बाद माता सीता और रामजी दोनों ने छः दिनों तक मुग्दल ऋषि के आश्रम में रहकर पूजा पाठ किये।इस लिए छठ ब्रत की शुरुआत रामायण काल से मानी जाती हैं।रामायण के साथ ही महाभारत काल मे भी छठ पर्ब के बारे में बताया गया है।पाण्डव जब अपना राजपाट जुवे में हर गए थे,तो द्रोपति ने छठ व्रत किया था,तब जाकर पाण्डवो को राजपाट मिला था।इस ब्रत के माध्यम से व्रती महिलाएं पुत्र प्राप्ति के साथ संतान के उज्वल भविष्य की कामना करती हैं। क्षेत्र के चित्रसेन बनकटा,बासोपट्टी, विशुनपुरा,रामपुर

प्रतापपुर, चकरवा टोला प्रेम राय,मिश्रौली, बंकूल,टोला अहिबरन राय,बंगरुआ, फुलवरिया, ठाकुरपुर,बसावन चक,जगदीश पुर, नियरवा,रोहिनिया,कतरवा हरदो,हाता,लक्ष्मण चक,परसौनी,गंगौली,प्रगसहा,बलिवन, भवानी छापर,,सिरिसिया पवार के घाटों पर छठ पूजा धूमधाम से मनाया गया।

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