उपरोक्त सत् सद् मानवों ने महामानव तक की यात्रा सर्व काल्याणीय , उपयोगीय , उपभोगीय सुख शान्ति , आनंददायी सृष्टि मानव (नरनारी , स्त्रीपुरुष ) जीव, प्राणी हेतु  प्राकृतिक एवं भौतिक स्वरूपीय सुई से लगाकर हवाईजहाज तक के जैसे उपकरण जगत् मानवों के लिए निर्मित किये। कल कारखाने लगाये , चलाये , बनाये व प्राकृतिक स्वरूपों का भी सद् लाभ आनन्द सुख पहुंचाने के संसाधनों को भी एक सत्य दानवीर रूप में मुहैया कराये व व्यवस्थायें दीं । अधिकांश लोगों के घर ग्रहस्थीय के संचालनीय , उद्धारक लाखों लोगों को कार्य , रोजगार, नौकरी देने वाले बने व हुए तथा सादा सरल जीवन के परिचायक , कितने वैभवपूर्ण साम्राज्य के मालिक तनिक सा भी गर्व, अहंकार , अभिमान अंश मात्र भी नहीं। वाह रे ! पृथ्वी पर विद्यमान मानव रूपों से सत्य आत्मीयता निभाने वाले वेद वाक्यों ” आत्मवत् सर्वभूतेषु ” के सत्य पालनकर्ता, सभी के लिए करुणा , दया , प्रेम , स्नेह आत्मवत् निभानेवाले उनके पूर्वजों को दादा, पिता एवं स्वयं श्री रतन जी टाटा को कोटि – कोटि नमन करते हुए सभी को हार्दिक श्रृद्धाञ्जलि देते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। तथा परम पिता परमेश्वर परम माता जगद् ईश्वरी से प्रार्थना करते हैं कि उनके उत्तराधिकारी एवं उनकी भावीय पीढ़ी उनके पदचिन्हों पर चलते हुए राष्ट्र , देश मानवों को सदैव अनुग्रहीत करते रहें व अपना असीम प्रेम , स्नेह देशवासियों को विश्व वासियों को रोजी रोटी का मार्ग व सही सत्य जीवन बनाने एवं सही सत्यजीवन जीने के मार्ग को प्रशस्त करते रहें ।                           अतः मेरी शुभ कामनायें हैं कि टाटा परिवार सदैव व निरन्तर उन्नति की ओर पूर्व की तरह बढ़ता रहे तथा राष्ट्र व देशवासियों , विश्व तथा विश्ववासियों के उज्वल भविष्य के निर्माण में अपनी सत्य उच्च अपने पूर्वजों की मनोसोचीय सत् पृवृत्तियों को आत्मसात करते , रखते हुए सद् सत् सत्य भूमिकाएं निभायें । ।

आपका अपना ही शुभ सर्व कल्याण भावीय डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

सृष्टि कल्याण ,विश्व कल्याण , राष्ट्र कल्याण , जीव प्राणी मानव कल्याण मनोसोचीय एक अदना तुच्छ भारतीय सर्व शुभचिंतक

” सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग भवेतु ॥

असतो मा सद्‌मय , तमसो मा ज्योतिर्गमय मृत्योमा अमृतगमय ॥

ॐ शान्ति शान्ति शान्ति ।

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