नागराज धाम चित्रकूट धाम के नित्या महाराज ने बताया भोले के स्वभाव का भक्तों पर प्रभाव श्रावण मास में कैसै पडे ? क्या करे।
■ शिव पूजन विधि, शुभ योग, मुहूर्त और जलाभिषेक का महत्व
■19 साल बाद इस विशेष योग के बनने से सावन 59 दिनों का हो गया है.
आज फोकस न्यूज़ 24×7 के विनय पचौरी पहुंचे उरई कोंच रोड पर स्थित विख्यात नागराज धाम वहां पर पहुंचकर सर्वप्रथम सावन मास के चौथे सोमवार के रूप में सर्वप्रथम उन्होंने शिवजी की पूजा अर्चना की अपने परिवार सहित पहुंचकर।
तदोपरांत महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त कर कुछ अहम जानकारी प्राप्त की जिससे श्रावण मास में लोगों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके और जनकल्याण भी हो सकेगा
नागराज धाम से सत्या महाराज ने भक्तजनों के लिए कुछ विशेष योग शिवपूजन से होने वाले लाभ और साधना पर चर्चा की किस रूप में और किस प्रकार से शिव आराधना करना चाहिए बताया विस्तार से
सावन के चौथे सोमवार के दिन भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। ऐसा करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसा भी माना गया है कि गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
31 जुलाई 2023 को सावन का चौथा और अधिकमास का दूसरा सोमवार का व्रत रखा जाएगा. इस साल सावन महीने में अधिकमास लगा है.
19 साल बाद इस विशेष योग के बनने से सावन 59 दिनों का हो गया है.
करें शिव के इस महामंत्र का जाप
■ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
■ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
सावन के चौथे सोमवार पर करें ये उपाय
आज सावन का चौथा सोमवार है.
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए
सावन के सोमवार पर गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
इसके बाद शिव मंदिर में 11 घी के दीपक जलाएं और अपनी कामना भगवान शिव से करें. इस उपाय से मनोवांछित फलों को प्राप्ति होती है.
सावन सोमवार व्रत खोलते समय कुछ खास बातों का जरुर ध्यान रखना चाहिए, तभी व्रत और पूजा फलीभूत होती है. शास्त्रों के अनुसार शिव पूजा प्रदोष काल और निशिता काल मुहूर्त में अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है. ऐसे में सावन सोमवार व्रत में व्रती को पूरे दिन शिव भक्ति कर अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलना उत्तम होगा.
सावन सोमवार पर भोलेनाथ को अर्पित करें ये 5 पत्ते
- बेलपत्र
- शमी के पत्ते
- भांग के पत्ते
- आंकड़े के पत्ते
- दुर्वा घास
सावन के चौथे सोमवार घर ले आएं ये 4 चीजें
- तांबे का कलश
- महामृत्युंजय यंत्र
- रत्नों से निर्मित शिवलिंग
- चांदी से बना नंदी
सावन सोमवार रुद्राभिषेक मुहूर्त
भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लिए सावन माह को बहुत ही उत्तम माना जाता है।
सावन के चौथे सोमवार पर रुद्राभिषेक के लिए सुबह 07:26 तक ही का मुहूर्त है. रुद्राभिषेक करने से घर पर सुख-समृद्धि आती है और भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं.
सावन के चौथे सोमवार पूजा विधि
सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर में जाकर या घर ही शिवलिंग की विधिविधान से पूजा करें. शिवलिंग पर गंगाजल , दूध या शुद्ध जल से अभिषेक करें और चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म आदि अर्पित करें. फिर शहद, फल, मिठाई, शक्कर का भोग लगाकर धूप-दीप दिखाएं. शिव चालीसा पाठ और सोमवार व्रत कथा पढ़ें और आरती करें.
शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
नोट : फोकस न्यूज 24×7 किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।