संविधान दिवस के अवसर पर जनपद न्यायाधीश नें राष्ट्र की एकता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता को बनाये रखने हेतु संविधान के प्रस्तावना की शपथ दिलायी

देवरिया संविधान दिवस के अवसर पर जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवेन्द्र सिंह द्वारा समस्त सम्मानित न्यायाधीशगण, न्यायालय कर्मचारी एवं सुरक्षाकर्मियों को राष्ट्र की एकता, अखण्डता एवं प्रभुता को बनाये रखने हतुे शपथ दिलाया गया।

उन्होंने बताया कि आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा की तरफ से इसे अपनाया गया, और 26 नवंबर 1950 को इसे लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ पूर्ण रूप से लागू किया गया।

उन्होंने कहा कि संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक तथा समाजवादी गणराज्य घोषित करता हैं तथा सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता तथा समानता का अवसर प्रदान करता है।

संविधान की यह भावना, हमारे देश की मूल भावना है, जो दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है। उन्होंने कहा कि हम सब का विधिक दायित्व है कि संविधान के आत्मा के विपरीत कोई कार्य न करें।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करतें हुये वहाॅ उपस्थित समस्त कर्मचारियों एवं सुरक्षाकर्मियों को संविधान के बारें में जानकारियॉ देते हुये संविधान के उद्देश्य एवं मौलिक अधिकारों के बारे में अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि डॉ0 भीमराव अंबेडकर जिनके अध्यक्षता में 02 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुआ। तथा जिसे संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया। सन 2015 में डॉ0 भीमराव अंबेडकर के 125वी जयंती के उपलक्ष्य में विधि दिवस को डॉ0 भीमराव अंबेडकर के संविधान बनाने में दिये गये योगदान को याद करने तथा संविधान में दी गयी व्यवस्था का अनुपालन करने हेतु संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत संघ के सरकार द्वारा किया गया।

इसके अनुक्रम में प्रत्येक वर्ष 26 नवम्बर को सविधान दिवस का आयोजन किया जाता हैं, अन्त में राष्ट्रगान के साथ सभा का समापन किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम इन्दिरा सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश छाया नैन, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मंजू कुमारी, तथा अन्य न्यायिक अधिकारीगण व कर्मचारी उपस्थित रहें।
*प्रचारित प्रसारित द्वारा सूचना विभाग देवरिया*

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