18वीं लोकसभा का चुनाव पूर्व के चुनाव की तरह नहीं रहा। यह चुनाव देश के एक सौ चालीस करोड़ जनता लड़ी है। एक तरफ मोदी के साथी

संघाती अडानी अम्बानी और संविधानव लोकतन्त्र को कुचलने वाले लोग थे और दूसरी ओर बाबा साहब के संविधान धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र रोजगार खेती किसानी सरकारी संपतियो को बचाने वाले लोग थे। मोदी सरकार की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करते किसान मजदूर छात्र नौजवान महिलाएं और मेहनत कश जनता खड़ी थी। इसलिए इस बार का चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं था। लोग बदलाव के लिए अपना मत दिए हैं। निश्चित रूप से बदलाव होगा। लोग नई रोशनी का एहसास करेंगे।

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