हमीरपुर  डीएम ने कोर्ट में वकीलों के बीच फैसला संस्कृत भाषा में ही पढ़कर सुनाया और इसी भाषा में निर्णय भी पारित किया

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रिपोर्ट :  विनय कुमार पचौरी

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हमीरपुर में जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शुक्रवार को पहली बार एक नई पहल की शुरुआत करते हुए एक मामले में संस्कृत भाषा में फैसला दिया है।
अनुसूचित जाति के किसान को अपनी जमीन गैर अनुसूचित जाति के लोगों को बेचने के मामले में डीएम ने कोर्ट में वकीलों के बीच फैसला संस्कृत भाषा में ही पढ़कर सुनाया और इसी भाषा में निर्णय भी पारित किया। जिसे सुनकर वकील दंग रह गए।

मुकदमे की सुनवाई के बाद डीएम चंद्र भूषण त्रिपाठी ने संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया, जिसे सुनते ही वकील हतप्रभ रह गए। इतना ही नहीं इस दौरान डीएम ने संस्कृत भाषा में आदेश भी जारी किए। एक आईएएस अधिकारी के संस्कृत भाषा में फैसला सुनाने का यह पहला वाक्या सामने आया है

बता दें, कि डीएम ने संस्कृत भाषा से पीएचडी की है।

हमीरपुर जिले के राठ थाना क्षेत्र के ग्राम गिरवर निवासी संतोष कुमार पुत्र करन सिंह अनुसूचित जाति का है। इसके पास मौजा कुम्हरिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है। किसान संतोष ने जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपना मामला रखा था। उसने कोर्ट में बताया कि उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और बीमारी से परेशान भी रहता है। बताया कि सरकारी कर्जा निपटाने और बीमारी का इलाज कराने के लिए अपनी भूमि को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर और 0.0930 हेक्टेयर गैर अनुसूचित जाति के लोगों को बेचना चाहता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए आज डीएम डॉ.चंद्रभूषण त्रिपाठी ने पहली बार कोर्ट में वकीलों के बीच संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया

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