मलसा गाजीपुर मे श्री रामचरितमानस कथा मे बही भक्ति की धारा।

रिपोर्ट: विनय पचौरी 

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विधि का बनाया विधान है। विधाता भाग्य का निर्माता नहीं है।भाग्य का वह लेखक है।
पृथ्वी पर नियम विधान व कानून जब बिगड़ जाते हैं तो विधि भी बिगड़ जाता है।
यह बात मां काली देवी मंदिर के सामने शिव इंटर कॉलेज में श्रीराम कथा सुनाते हुए साध्वी मिथिलेश्वरी द्वारा कही गई।

कथा प्रारंभ करते हुए साध्वी मिथिलेश्वरी दीक्षित चित्रकूट धाम द्वारा कहा गया कि भगवान विवाहित होकर अयोध्या लौटे हैं।
अयोध्या में धूम मची है। जहां नित्य प्रति ठाकुर जी की सेवा होती है
वहां उत्सव जैसा माहौल होता है। प्रतीक रूप में पूजा के नाम पर जब उत्सव बना लेते हैं।
भगवान स्वयं प्रकट होंगे तो उत्सव ही उत्सव का नजारा होगा।
उन्होंने कहा कि पूजा पाठ से मन शुद्ध होता है।
पूजा से शरीर पवित्र होता है।
मनुष्य के पास धन दौलत सभी होता है लेकिन बरकत नहीं होती है। रोना धोना लगा रहता है।
धन की कमी नहीं होने के बावजूद बेचैनी बनी रहती है।
संपत्ति व समृद्धि अलग अलग है। चौपाई की पाठ से भले ही आप पैसा कमा लेकिन बरकत रहेगा इसकी संभावना नहीं है।
आगे साध्वी मिथिलेश्वरी ने कहा भगवान ने मनुष्य शरीर दिया है
इस शरीर का हमें अच्छे कार्यों के लिए उपयोग करना है। जिससे आपका ही नहीं आपकी परिवार का ही नहीं बल्कि बल्कि देश व विश्व का कल्याण हो सके।

उन्होंने कहा कि भगवान के अवध में आने के बाद दिन रात सुखों की घनघोर वर्षा होने लगी।
पुण्य के मेघ बरसने लगे।
विधाता ने इतना वैभव बरसा दिया कि शब्द से उसका वर्णन ही नहीं किया जा सकता है।

भगवान को इस बात से थोड़ी चिंता हो गई। अयोध्यावासियों की ये खुशी कामचंद्र की ओर न चले जाए।

भक्त जितना भगवान से बंधता है, भगवान भी उस भक्त से उतना ही बंध जाता है।
जब भगवान से संबंध जुट जाएगा, तो हमें समय मिले या न मिले लेकिन भगवान जरूर भक्त के पास दौड़े चले आएंगे।
श्रीराम कथा में मुख्य आयोजक नंदू प्रसाद गुप्ता व मंच संचालक संजय राय ढढली एंव समस्त ग्रामवासी के सहयोग से कार्यक्रम विधिवत विस्तार से काली मंदिर के सामने शिवपूजन इंटर कॉलेज में किया जा रहा है जहां आयोजक मंडल कार्यकर्ताओ द्वारा माता और बहनों ग्राम वासियों द्वारा पधारी प्रवचन कर्ता मे साध्वी मिथिलेश्वरी दीक्षित व अखिलेश्वरी शर्मा को माला भेट की गयी।
दोनों साध्वी द्वारा समय अनुसार अपनी अपनी वाणी द्वारा श्री रामचरितमानस कथा का रसपान कराया गया।

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