“बुंदेलखंड की शान” पुस्तक दुनिया के 100 से अधिक दूतावास पर पहुंची ।

रिपोर्ट: आयुष त्रिपाठी (गुरसरांय)

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गुरसरांय (झांसी)। गुरसरांय किला से लेकर प्राचीन टोड़ी फतेहपुर किला के साथ-साथ सुट्टा, सिंगार, गढ़वई के प्राचीन मंदिर और गढ़वई किला का इतिहास सवारने के लिए आज गुरसरांय में प्रहलाद की एरच ऐतिहासिक नगरी में शासन स्तर से मनाए जाने वाले वर्ष 2023 होली महोत्सव के भव्य महोत्सव की शासन स्तर से तैयारियों की बैठक से लौटते समय गुरसरांय में मीडिया ने अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री) एडवोकेट हरगोविंद कुशवाहा से गुरसरांय स्थित किला और सुट्टा, सिंगार गोसाई के मंदिर गढ़वई किला और गोसाई का मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वेक्षण कराकर विकसित करने की जब मांग रखी तो राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने बताया बुंदेलखंड की शान नाम से शासन स्तर से प्रकाशित पुस्तक दुनिया के 100 से अधिक दूतावास पर पहुंच चुकी हैं जिसमें 1726 ईस्वी में महाराजा छत्रसाल ने लिखे पत्र का भी उल्लेख है जो बताता है इसके पहले बुंदेलखंड में गोसाई गांव का राज्य था और जब महाराजा छत्रसाल अंग्रेजों से लड़ रहे थे तो बेलाताल में किले में रुके थे तो उनके पास उसी समय गोविंद बल्ल खैर जोकि सागर मध्यप्रदेश में सेनानायक थे ने छत्रसाल महाराज को सेना की भरपूर मदद की थी और महाराज छत्रसाल ने उस समय बुंदेलखंड से विजय की रणभेरी बजाई थी इससे प्रसन्न होकर बुंदेलखंड के झांसी, जालौन, सागर आदि क्षेत्र महाराज छत्रसाल ने गोविंद बल्ल खैर को दिए थे तब से मराठी राज्य इन जिलों में हो गया था इस इतिहास को आगे बताते हुए राज्यमंत्री कुशवाहा ने बताया मध्य प्रदेश सरकार ने 34 वर्ष पहले स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार हरगोविंद गुप्त की एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी जबकि पूरे बुंदेलखंड मे किलो की भूमि को लेकर तहसील टहरौली ग्राम बमनुवा जिला झांसी के निवासी डॉक्टर अजय सिंह कुशवाहा ने बुंदेलखंड किलो की भूमि को लेकर एक पुस्तक लिखी जिसमें बुंदेलखंड के किलो और किले की भूमि के बारे में स्पष्ट उल्लेख है ।

इस पुस्तक से प्रभावित होकर उत्तर प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉक्टर अजय सिंह कुशवाहा को पुस्तक के लेखक के रूप में ऐतिहासिक धरोहर का गहराई से उल्लेख करने पर एक लाख रुपये की चैक प्रदान की थी और हिंदी संस्थान लखनऊ उत्तर प्रदेश द्वारा भी सम्मानित और पुस्तक को संग्रह किया गया था।

गुरसरांय गरौठा क्षेत्र मैं पुरातत्व, ऐतिहासिक स्थल सर्वाधिक-कुशवाहा……

गरौठा तहसील के सबसे दूरदराज देवरी, घटयारी, प्रतापपुरा में नदियों का ऐतिहासिक संगम है वही एरच मैं जब प्रहलाद को अग्नि में बैठाकर जलाने का प्रयास किया गया तो होली का के रूप में अग्नि जल गई थी और प्रहलाद को बचा लिया गया था जिस कारण ना केवल भारत देश पूरे विश्व में होलिका उत्सव मनाया जाता है।

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