विश्वविद्यालय की समस्त शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों को कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा
डा. सुशील कुमार चतुर्वेदी, अधिष्ठाता (कृषि), झांसी
अल्प समय में ही कृषि संकाय के 44 प्रतिशत विद्यार्थी उच्च शिक्षा में,
32 प्रतिशत सरकार के विभिन्न कार्यालयों में चयनित हुए हैं।
रिपोर्ट : विनय पचौरी
FOCUSNEWS24X7
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विश्वविद्यालय में स्थापित चार घटक महाविद्यालयों में से कृषि महाविद्यालय एक है।
विश्वविद्यालय की समस्त शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों को कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।
छात्रों के पहले बैच ने
- शैक्षणिक सत्र 2014-15 के दौरान 30 छात्रों के प्रावधान के साथ बैचलर ऑफ साइंस इन एग्रीकल्चर {(बी. एससी.एजी. (हॉनर्स)} में प्रवेश भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा (एआईईईए) के माध्यम दिया जाता है।
- वर्तमान में स्नातक स्तर पर 66 छात्रों को प्रतिवर्ष प्रवेश दिया गया हैं ।
विज्ञान संकाय में
- शस्य विज्ञान,
- पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी,
- पादप रोग विज्ञान,
- कीट विज्ञान,
- मृदा विज्ञान,
- कृषि प्रसार एवं संचार,
- कृषि अभियांत्रिकी,
- बीज प्रोद्योगिकी,
- कृषि अर्थशास्त्र, एवं मौलिक विज्ञान (जैव रसायन,
- पादप कार्यकी,
- सूक्ष्मजीव विज्ञान,
- गणित,सांख्यिकी एवं संगणक)
विभागों द्वारा गुणवत्तायुक्त एवं रोजगारपरक शिक्षा दी जा रही है।
शैक्षणिक सत्र 2018-19 से प्रति विषय 4 छात्रों के प्रवेश के साथ स्नातकोत्तर डिग्री (एम. एससी. एजी.) कार्यक्रम शस्य विज्ञान, पादप प्रजनन एवं आनुवंशिकी, और पादप रोग विज्ञान विषयों में शुरू किया गया था।
तत्पश्चात वर्ष 2019-20 में कीट विज्ञान तथा मृदा विज्ञान विषयों में भी एम.एससी. (एजी.) के पाठ्यक्रम प्रारंभ हुए।
वर्ष 2022-23 से कृषि विस्तार एवं संचार में प्रति विषय 4 छात्रों को प्रवेश दिया गया।
वर्तमान में विश्वविद्यालय द्वारा कृषि के 6 विषयों में स्नातकोत्तर और शस्य विज्ञान,पादप प्रजनन एवं आनुवंशिकी व पादप रोग विज्ञान में पीएच.डी.की डिग्री प्रदान की जा रही है।
वर्तमान में कृषि संकाय में 240 से अधिक छात्र एवं छात्राएँ अध्ययनरत हैं।
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अल्प समय में ही कृषि संकाय के 44 प्रतिशत विद्यार्थी उच्च शिक्षा में,
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32 प्रतिशत सरकार के विभिन्न कार्यालयों में चयनित हुए हैं।
विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्र शुभम सिंह का चयन कॉलराडो विश्वविद्यालय,संयुक्त राज्य अमेरिका में परास्नातक पाठ्यक्रम के लिए हुआ।
यह विश्वविद्यालय में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के स्तर को प्रदर्शित करता है।
विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान देने के लिए विभिन्न ईकाइयों जैसे
- वर्मीकंपोस्टिंग,
- समन्वित कृषि प्रणाली,
- जैविक खेती,
- प्राकृतिक खेती,
- संरक्षित कृषि,
- मधुमक्खी पालन,
- मशरूम उत्पादन,
- मोबाईल प्लांट हेल्थ क्लिनिक, एवं
- बुंदेलखंड की प्रमुख फसलों की उन्नतशील प्रजातियों का केफ़ेटेरिया
की स्थापना की गई है।
साथ ही प्रायोगिक फसल उत्पादन द्वारा विद्यार्थी खेती के विभिन्न आयामों से परिचित हो रहे हैं।
संकाय के शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों द्वारा की वाह्य वित्त पोषित शोध, शिक्षा एवं कृषि प्रसार परियोजनाओं का संचालन किया जा रहा जिससे गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु अंतिम वर्ष के छात्रों को गाँव में किसानों के बीच रहकर कृषि के बारे में प्रायोगिक ज्ञान अर्जित करने का अवसर दिया जाता है।
साथ ही प्रयोगात्मक कृषि कार्य अनुभब (ईएलपी)के द्वारा छात्रों को उद्यमी बनने के लिए तैयार किया जाता है, जिससे वे भविष्य में अपना खुद का उद्यम स्थापित कर सकें।
रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय बुंदेलखंड के विभिन्न जनपदों में स्थित महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में कृषि शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राओं को कृषि शिक्षा,शोध एवं प्रसार की आधुनिकतम तकिनिकियों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रयत्नशील है।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय “बुंदेलखंड किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी” का आयोजन 26-27 फरवरी 2023 को किया गया है।
आशा है कि इस प्रयास से बुंदेलखंड और आसपास के क्षेत्रों में पढ़ रहे छात्र-छात्रों को कृषि एवं संबंधित विषयों के आधुनिक आयामों की जानकारी मिली होगी तथा वे कृषि में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित होंगे।
यह प्रयास बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि उत्पादन एवं किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।