• *डीएम ने की जन्म-मृत्यु पंजीकरण की समीक्षा*

रिपोर्ट: अख्तर अली 

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*जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए अनावश्यक भागदौड़ कराने पर होगी कार्रवाई:डीएम*

*देवरिया(सू0वि0)  कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सोमवार की देर सायं जन्म-मृत्यु पंजीकरण की समीक्षा बैठक हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि जन्म व मृत्यु का ससमय पंजीकरण नागरिकों का वैधानिक अधिकार है। इसमें किसी भी तरह की कोताही न बरतें। जन्म-मृत्यु पंजीकरण में किसी भी तरह के अनियमितता अथवा लोगों को अनावश्यक भाग-दौड़ कराने की शिकायत मिली तो कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

जिलाधिकारी ने बताया कि 21 दिन के भीतर जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण कराना पूर्णतया निःशुल्क है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम विकास अधिकारी एवं नगरीय क्षेत्रों में ईओ को रजिस्ट्रार नामित किया गया है। सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के लिए सीएमएस एवं संबंधित सीएचसी के एमओआईसी रजिस्ट्रार के रूप में नामित हैं। 22 से 30 दिन के भीतर यदि कोई जन्म-मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए 2 रुपये का विलंब शुल्क जमा कर नामित रजिस्ट्रार के कार्यालय से प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।

जिलाधिकारी ने बताया कि 30 दिन के पश्चात लेकिन एक वर्ष से पूर्व जन्म अथवा मृत्य का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 5 रुपये के विलंब शुल्क के साथ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार की संस्तुति की आवश्यकता होती है। नगरीय क्षेत्रों के लिए सीएमओ तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डीपीआरओ को एडिशनल रजिस्ट्रार के रूप में नामित किया गया है।

एक वर्ष से अधिक अवधि के जन्म-मृत्यु पंजीकरण पर ही 10 रुपये के विलंब शुल्क के साथ एसडीएम की संस्तुति आवश्यक होती है।

जिलाधिकारी ने बताया कि जन्म मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 की धारा 14 के अनुसार जन्म लेने वाले बच्चों का बिना नाम के भी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जा सकते हैं। बाद में प्रमाणपत्र पर निःशुल्क बच्चे का नाम अंकन कराया जा सकता है।

जिलाधिकारी ने कहा कि जन्म-मृत्यु का पंजीकरण अत्यंत आवश्यक है। इससे सरकार को जनहित में जनकल्याणकारी योजनाओं के संचालन एवं कार्यक्रम आदि में सहायता मिलती है। जन्म प्रमाण पत्र व्यक्ति की पहचान, पासपोर्ट, नागरिकता, स्कूल में प्रवेश आदि में जरूरी है। मृत्यु प्रमाण पत्र संपत्ति, बीमा आदि लाभ, वरासत, मृतक आश्रित लाभ आदि के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि संस्थागत मृत्यु के मामलों में मृत्यु के कारणों का चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य रूप से किया जाए।

सीएमओ डॉ राजेश झा ने बताया कि वर्ष 2022 में 32,523 शिशुओं का जन्म पंजीकरण 21 दिन की निर्धारित समयसीमा के भीतर कर लिया गया, जबकि 341 का 21 से 30 दिन और 3,199 का एक वर्ष से पूर्व किया गया।18,459 बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र एक वर्ष के पश्चात निर्गत हुआ। वर्ष 2022 में कुल 54,750 बच्चों का प्रमाणपत्र जारी हुआ। सीएमओ ने बताया कि जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पर भी आवेदन किया जा सकता है।

बैठक में सीडीओ रवींद्र कुमार, एडीएम प्रशासन गौरव श्रीवस्तव, एसडीएम सौरभ सिंह, एसडीएम ध्रुव कुमार शुक्ला, एसडीएम संजीव उपाध्याय, एसडीएम अरुण कुमार, डीपीआरओ अविनाश कुमार सहित समस्त नगर निकायों के अधिशासी अधिकारी एवं खंड विकास अधिकारी मौजूद थे।
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