सुहावने मौसम के बावजूद मतदाताओं में दिखी बेरूखी, फीका मतदान प्रतिशत प्रशासन और प्रभारी मंत्री की क्षमताओं पर लगा गया प्रश्नचिन्

 

उरई।

सुहावने मौसम के बावजूद जिले में नगर निकायों के चुनाव में मतदान की स्थिति मायूस करने वाली रही। नगर पंचायतों में जहां लोगों ने बढ चढ कर मतदान किया वहीं नगर पालिका क्षेत्रों में लोग पचडे में न पडने की मानसिकता से ग्रसित नजर आये। इसे दो नगर निकायों के औसत मतदान से समझा जा सकता है। शाम 5ः00बजे तक मतदान के आधिकारिक आकडों के अनुसार जिला मुख्यालय की उरई नगर पालिका में सबसे फीका मात्र 50.27 प्रतिशत मतदान हुआ था वहीं सर्वाधिक मतदान 71.51 प्रतिशत सुदूर की दुर्गम नगर पंचायत नदीगांव में हुआ। 5ः00बजे तक जिले का कुल औसत मतदान प्रतिशत 55.13 हो पाया था। हालाकि समाचार लिखे जाने तक मतदान जारी था। अनुमान लगाया जा रहा है कि जिले कोई मतदान प्रतिशत 60प्रतिशत के आकडे को भी शायद ही छू पाये।

जिले के नगर निकायों में शुरूआत में मतदान की रफ्तार तेज रही। लेकिन दोपहर बाद मतदाताओं का रूख उदासीन हो गया। नगर निकायों में वार्ड सदस्य अपने-अपने इलाके में जमकर जोर लगाते है जिसके चलते ग्राम पंचायत चुनाव की तरह के सघन मतदान का अनुमान लगाया गया था। लेकिन लोकसभा और विधानसभा के मतदान से भी नगर निकायों का मतदान पिछडता दिखा जो गहन विश्लेषण का तकाजा रखता है। जिला मुख्यालय होने के कारण उरई के मतदाता सबसे अधिक जागरूक माने जाते है लेकिन यहां कम ही लोग वोट डालने के लिए निकले जो लोकतंत्र के लिए विडंबना दायक उलटबासी कही जा सकती है। राजनीतिक पंडितों के अनुसार उरई नगर पालिका की अध्यक्षी अनुसूचित महिला के लिए सुरक्षित कर दी जाने के कारण भद्रजनीय तबके की दिलचस्पी चुनाव से खत्म रही और यही कम मतदान की वजह बना। उरई में कम मतदान के कारण सत्तारूढ दल की धुकपुकी बढ गयी है। जिले के प्रभारी मंत्री धर्मवीर प्रजापति के लिए भी यह झटका है जो कई दिन तक डेरा जमाकर अपने कार्यकर्ताओं को पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने के लिए मोटीवेट करते रहे थे। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला।

5 बजे तक के मतदान के रूझानों को देखे तो अन्य नगर पालिकाओं में कोंच में सबसे ज्यादा 61.20 प्रतिशत मतदान हो चुका था। जालौन में 59.80 प्रतिशत मतदाता वोट डाल चुके थे जबकि कालपी में 52.88 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मत प्रयोग किया था। गौरतलब है कि कोंच में बहुकोणीय मुकाबला है और सारे उम्मीदवार दिग्गज है। कोंच में मतदान प्रतिशत अधिक रहने का यही सबब है। कालपी में मतदान का फीका प्रतिशत भाजपा के लिए चिंता का विषय है। यहां के भाजपा उम्मीदवार पार्टी के उच्च नेतृत्व द्वारा एक तरह से थोपे हुए से थे और इससे सबसे ज्यादा नाराजगी वैश्य मतदाताओं में थी। सम्भवतः उन्होंने घर में ही बैठे रहकर पार्टी नेतृत्व को अपना विरोध जताने की ठान ली थी। यह अनुमान कितना सही है नतीजे आने पर इसकी पुष्टि हो सकेगी।

दूसरी ओर नगर पंचायत क्षेत्रों के जिले के मतदाता पानी पूडी आदि का धन्धा करने के लिए बाहर रहते है जिससे जानकारों को लगता था कि नगर पंचायतों में मतदान की स्थिति निराशाजनक रहेगी। लेकिन नगर पंचायतों के मतदाता अधिक जागरूक निकले। वे मतदान के कर्तव्य को निभाने के लिए शायद धन्धा छोडकर घर आ गये थे जिससे नगर पंचायतों में बम्फर मतदान की स्थिति रही। नदीगांव के बाद कदौरा में सबसे ज्यादा 64.15 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद कोटरा में 61.81 प्रतिशत और नगर पंचायत माधौगढ़ में 59.25 प्रतिशत मतदान हो पाया था। नगर पंचायत रामपुरा में 53.96 प्रतिशत लोगों ने ही 5 बजे तक मत प्रयोग किया था। नवगठित नगर पंचायत एट में भी संतोषजनक मतदान नहीं हो सका। यहां मतदान का प्रतिशत 55.55 प्रतिशत मात्र रहा।

जिलाधिकारी चांदनी सिंह और पुलिस अधीक्षक इराज राजा मतदान के दौरान जिले में बराबर भ्रमणशील रहे ताकि आराजक तत्वों को कहीं चुनावी यज्ञ में विघ्न डालने का मौका न मिल पाये। जिसके कारण शान्तिपूर्ण और सुचारू मतदान कराने की परीक्षा में तो वे उच्चतम अंको के साथ सफल करार दिये जा सकते है। किन्तु मतदान का कम प्रतिशत उनकी क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह माना जा रहा है। जिसका जबाव उनको देना होगा।

इसी बीच जिले के नगर निकायों में मतदान की अंतिम स्थिति के आकडे भी प्राप्त हो गये है। जिले भर में औसत मतदान 57.98 प्रतिशत रहा। नदीगांव में 73.23 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले। नगर पालिकाओं में उरई में 52.13 प्रतिशत कालपी में 55.84 प्रतिशत, कोंच में 65.74 प्रतिशत और जालौन में 62.41 प्रतिशत लोगों ने मत प्रयोग किया। नगर पंचायतों में ऊमरी में 69.79 प्रतिशत एट में 57.91 प्रतिशत कदौरा में 66.74 प्रतिशत कोटरा में 63.08प्रतिशत, नगर पंचायत माधौगढ़ में 62.97 प्रतिशत रामपुरा में 56.20 प्रतिशत मतदान हुआ।

Share.