इनरव्हील क्लब ऑफ स्वर्णिम उरई द्वारा गणेशोत्सव मे छाई धूम 

इनरव्हील क्लब ऑफ स्वर्णिम उरई द्वारा गणेशोत्सव का पर्व रामनगर स्थित गौरव महाराज के गणेश मंदिर से बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। गणेशोत्सव पर भी सभी सदस्य महाराष्ट्रीयन परिधान पहन कर आए और सभी ने भजन, कीर्तन, नृत्य का आनंद लिया

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मराठी परिधान के लिए नेहा उपाध्याय को पुरस्कृत किया गया।

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गणेशोत्सव पर्व का आयोजन क्लब की प्रेसिडेंट आरती दुबे के नेतृत्व में किया गया, जिसमें क्लब के सभी सम्मानित बहनों ने सहभागिता की, जिसमें चार्टर प्रेसिडेंट पुष्पा अग्रवाल, वाइस प्रेसिडेंट माधुरी गुप्ता, सह सचिव नूपुर कौशिक, एडिटर सरिता सिंघल, उर्वशी सिंह ,नेहा उपाध्याय ,अनीता पाठक, मनोरमा सोनी, दीपिका मिश्रा, सारिका सिन्हा, हेमा अग्रवाल, सीमा गर्ग आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में भव्य प्रसादी का भी सभी ने आनंद लिया ,कार्यक्रम बहुत ही धूमधाम और भव्यता के साथ संपन्न हुआ।

क्लब की प्रेसिडेंट आरती दुबे ने कहा कि  आज गणेश उत्सव के पण्डाल एक दूसरे के प्रतिस्पर्धात्मक हो चले हैं। गणेशोत्सव में प्रेरणाएं कोसों दूर होती जा रही हैं और इसको मनाने वालों में एकता नाम मात्र की रह गई है। इस बार हमें एक बार फिर से संगठित होकर गणेशोत्सव को इतनी ख़ुशी व धूमधाम से मनाना चाहिए जिससे समाज में एकता व भाईचारा बढ़ सके।

भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी नए काम को प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने के बाद प्रारंभ होने वाला कार्य हर हाल में पूरा होगा। भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

आजादी के आन्दोलन में गणेश उत्सव की भूमिका

1894 में अंग्रेजो ने भारत में एक कानून बना दिया था जिसे धारा 144 कहते हैं जो आजादी के इतने वर्षों बाद आज भी लागू है।

लोगों में अंग्रेजों के प्रति भय को खत्म करने और इस कानून का विरोध करने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने गणपति उत्सव की स्थापना की और सबसे पहले पुणे के शनिवारवाड़ा में गणपति उत्सव का आयोजन किया गया।

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