पहली तारीख यानी 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश हो जायेगा। . यह बजट देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद के सामने रखेंगी।
आम लोगों की उम्मीदें पूरी होती हैं या नहीं यह 1 फरवरी को सामने आ जाएगा.
भारत की लगभग 3.5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है इसलिए इसका बजट भी बहुत बृहद होता है. इतनी बड़ी रकम के साथ ये समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि सरकार कहां से कितना कमाती है और कहां पर कितना खर्च करती है. इसलिए हम केवल साधारण भाषा की मदद से ही समझेंगे

सरकार का सबसे अधिक पैसा व्यय होता है ब्याज पर। यहां तक कि एक रुपये में से 20 पैसे सरकार ब्याज चुकता कर पाती है फिर टैक्स व अन्य शुल्क में राज्यों को दिया जाता है. केंद्र सरकार की योजनाओं (सेंट्रल सेक्टर स्कीम) पर भी और वित्त आयोग व इस तरह के अन्य खर्चों पर पैसे जाते हैं. भारत सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं पर केंद्र से कुछ ही खर्च हो पाता हैं. अन्य अतिरिक्त खर्चों पर जैसै रक्षा पर, सब्सिडी पर और पेंशन व्यवस्था पर खर्च किए जाते हैं. बता दें कि सेंट्रल सेक्टर स्कीम और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बहुत अंतर होता है. पहली स्कीम को केंद्र सरकार पूरी तरह फंड करती है, जबकि दूसरी स्कीम को केंद्र आंशिक रूप से प्रायोजित करता है।

सरकार की सबसे अधिक पैसे की कमाई कर्ज व बाकी देनदारियों से होती है. जिसमे जीएसटी से, कॉरपोरेशन टैक्स से और इनकम टैक्स से भी कमाई होती है. सरकार को पैसे एक्साइज ड्यूटी से मिलते हैं और कस्टम ड्यूटी व नॉन टैक्स आय से भी पैसे की कमाई होती है. अंत में आय सरकार को नॉन डेट कैपिटल से ही मिलती है.

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