परैथा माइनर में प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा असर: ओवरफ्लो से पाँच सौ बीघा फसल डूबी

मुख्य बिंदु

■ अधूरी सफाई और टूटी पुलिया के कारण परैथा माइनर अचानक ओवरफ्लो

■ शाम तक लगभग 500 बीघा खेत जलमग्न, किसान पूरी रात रहे परेशान

■ सूचना के बाद सिंचाई विभाग का अमला मौके पर पहुंचा, जलस्तर कम कराया

■ किसानों ने सर्वे व मुआवज़े की मांग उठाई

■ स्थानीय ग्रामीणों का आरोप—“दो दिन से अधिकारियों को बता रहे, कोई सुनने को तैयार नहीं”

कोंच। परैथा माइनर की अधूरी सफाई और खैरा मौजे में क्षतिग्रस्त पुलिया के नाले में गिर जाने से सोमवार शाम अचानक माइनर का पानी खेतों में फैल गया। पानी के इस तेज बहाव ने देखते ही देखते करीब पाँच सौ बीघा में खड़ी फसलों को पूरी तरह डूबो दिया। इस घटना से क्षेत्र के किसान सदमे में हैं और प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं।

किसानों का कहना है कि माइनर की सफाई कई दिनों से बीच में ही रोक दी गई थी। उधर, परैथा के पास सिंचाई विभाग की पुरानी पुलिया टूटकर सीधे माइनर में समा गई, जिससे पानी का मार्ग रुक गया और बैकफ्लो शुरू हो गया। जैसे-जैसे पानी का स्तर बढ़ा, खेतों में पानी भरना शुरू हो गया, लेकिन विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे।

ग्रामीण किसान हरी सिंह, गौरव, राजभैया, महेश कुमार, प्रदीप और रामप्रकाश ने बताया कि इमलौरी से कोंच तक माइनर की सफाई अधूरी छोड़ दी गई है। जहां सफाई हुई है, वहां पानी तेजी से बह रहा है, लेकिन अधूरी सफाई वाले हिस्सों में पानी रुककर खेतों में फैल रहा है। किसानों ने कहा कि अगर सफाई समय पर पूरी कर दी जाती तो इतनी बड़ी घटना न होती।

जेई ने मौके पर पहुंचकर हटवाई क्षतिग्रस्त पुलिया

शिकायतों की बाढ़ के बाद सिंचाई विभाग के जेई संदीप कुमार शाम को मौके पर पहुंचे। उन्होंने पहले माइनर का जलस्तर कम कराया और फिर जेसीबी की मदद से टूटी पुलिया के हिस्सों को माइनर से हटवाया। इससे किसानों को थोड़ी राहत मिली, लेकिन फसलों का नुकसान अब भी बड़ा बना हुआ है।

जेई ने आश्वासन दिया कि—
“माइनर की संपूर्ण सफाई जल्द कराई जाएगी, ताकि ओवरफ्लो की स्थिति दोबारा न बने।”

सफाई न होने से ही बना संकट”: ग्रामीणों का आरोप

भूतपूर्व सैनिक अमर सिंह कुशवाहा ने कहा कि विभाग की लापरवाही ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया।
उन्होंने कहा—
“अधिकारियों ने माइनर में पानी तो छोड़ दिया, लेकिन उसकी क्षमता और सफाई की स्थिति देखने की ज़रूरत नहीं समझी। नतीजा यह हुआ कि पानी पटरी छोड़कर सीधे खेतों में घुस गया।”

उन्होंने मांग की है कि किसानों का सर्वे कराकर तत्काल मुआवजा दिया जाए।

किसानों की पीड़ा: “दो दिन से फोन कर रहे, कोई नहीं आया”

परैथा के कई किसानों ने बताया कि वे दो दिन से संबंधित A.E. और J.E. को समस्या बता रहे थे, लेकिन किसी ने मौके पर जाकर स्थिति देखने की कोशिश नहीं की।
किसानों का कहना है—
“हमने बार-बार कहा कि माइनर भर रही है, सफाई अधूरी है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब नुकसान हम झेल रहे हैं।”

पाँच सौ बीघा में बोई गई फसल डूबने से किसानों को भारी आर्थिक क्षति हुई है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से त्वरित राहत और मुआवज़े की मांग की है।

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