भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर कांग्रेस नेताओं ने कमर कस ली है। उन्हें उम्मीद है कि यह पदयात्रा 2024 के चुनाव में बेहद अहम साबित होगी। वहीं इस यात्रा के जरिए एक बार फिर राहुल गांधी को लॉन्च करने की कोशिश की जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिए यह बताने की कोशिश होगी कि देश में कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो कि राष्ट्र को जोड़ सकती है। 35 हजार किलोमीटर की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यह यात्रा आसान नहीं है। इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं।

अध्यक्ष पद का चुनाव
यात्रा की अवधि में ही दो ऐसे कार्यक्रम भी हैं जो कि यात्रा में रुकावट पैदा कर सकते हैं। पहला है कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव और दूसरा गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के नेताओं को अध्यक्ष पद के चुनाव की चिंता इसलिए नहीं है क्योंकि उस दौरान यात्रा कर्नाटक में होगी और पार्टी बेंगलुरु पहुंचकर वोट डालने की सुविधा देगी।

चर्चाएं ये भी थीं कि शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है की जी 23 में से कोई एक नेता नामांकन कर सकता है। वहीं कांग्रेस पार्टी के कई नेता राहुल गांधी को मनाने में लगे हैं कि वह ये जिम्मेदारी लें।

रूट को लेकर क्या है दिक्कत
जिस रूट से होकर यह यात्रा जानी है उसमें कई ऐसी जगहें भी हैं जो कि छूट रही हैं। उदाहरण के तौर पर यह यात्रा राजस्थान होकर जाएगी जहां कांग्रेस की सरकार है। हरियाणा और पंजाब की बात करें तो यह केवल अंबाला जाएगी जबकि तथ्य यह है कि अब भी हरियाणा कांग्रेस की पहुंच से दूर है। ओडिशा और नॉर्थईस्ट में भी यह यात्रा बहुत कुछ छोड़ रही है। इतिहास की बात करें तो जितनी अहम यात्राएं हुई हैं उनमें चुनौतीपूर्ण जगहें जरूर शामिल रही हैं लेकिन कांग्रेस की यह यात्रा सहूलियत को ध्यान में रखकर होनी है।

Share.