अल-जमीअतुल अशरफिया, मुबारकपुर,आजमगढ़ की मस्जिद में ईद की नमाज 6:15 मिनट पर की गई अदा।

  • सीतापुर के एक परिवार ने इस खास त्योहार पर बेहद अनोखे अंदाज से कुर्बानी कर मिसाल पेश की.
  • मोहल्ला ग्वालमंडी के रहने वाले मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी ना देकर बकरे की फोटो लगे केक को काटकर कुर्बानी दी
  • मेराज अहमद ने बताया कि  प्रतीकात्मक तौर पर भी यह त्योहार इस तरीके से मनाया जा सकता है.
  • मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि किसी भी प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी नहीं होनी चाहिए.ऐसा कुछ भी न किया जाय जिससे किसी की भी भावनाएं आहत हों

अल-जमीअतुल अशरफिया, मुबारकपुर,आजमगढ़ की मस्जिद में ईद की नमाज 6:15 मिनट पर अदा की गई और लोगों में काफी खुशी उत्साह उमंग का माहौल देखने को मिला और इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया हमारी फोकस न्यूज़ 24×7 के पत्रकार अख्तर अली ने कुछ छाया चित्रों का भी संकलन किया

वही फोकस न्यूज़ 24×7 परिवार ने उन्हें व देवरिया टीम के जिला व्यूरो चीफ असगर अली, प्रभारी मुहम्मद युसुफ, मुन्ना अंसारी सभी के परिवार को ईद की मुबारकबाद दी और कहा ईद मुबारक हो भाई जान !!!!!!!!

ईद मुबारक हो ।

वही फोकस न्यूज़ 24 * 7 के प्रधान संपादक विनय पचौरी ने अपनी संदेश के माध्यम से भाई अख्तर अली व  सभी देवरिया परिवार बंधुओ को कहा ईद मुबारक हो।

अब करते हैं ईद उलअजहा के पर्व पर विस्तृत चर्चा

  • ईद उल अजहा का पर्व इस साल आज के दिन 29 जून को मनाया गया।
  • ईद उल अजहा को बकरा ईद के नाम से जाना जाता है।
  • इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है।

बात करते हैं क्यों है इस दिन कुर्बानी देने की परंपरा।

ईद उल अजहा का दिन फर्ज ए कुर्बानी का दिन होता है. इसके जरिए पैगाम दिया जाता है कि मुस्लिम अपने दिल के करीब रहने वाली वस्तु भी दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।

मुस्लिम धर्म में गरीबों और जरूरतमंदों  का बहुत ध्यान रखने की परंपरा है. ईद उल अजहा के दिन कुर्बानी के हिस्से को गरीबों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है. कुर्बानी का तीन भाग किया जाता है इसमें

  • एक हिस्सा स्वयं के लिए,
  • एक हिस्सा पड़ोसियों और रिश्तेदारों के लिए और
  • एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंद को बांट दिया जाता है.

मुस्लिम धर्म में अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी दी जाती है.

मान्यताओं के अनुसार हजरत ने एक दिन इब्राहिम के सपने में आकर अपनी प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. इब्राहिम अपने बेटे को बहुत चाहते थे. उन्होंने बेटे की कुर्बानी देने का निश्चय किया. हालांकि कुर्बानी में भावनाएं बीच में न आ जाएं इसलिए आंखों पर पट्टी बांध दी. अल्लाह का हुक्म मानकर उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी दे दी लेकिन आंख खोलने पर उन्होंने पाया कि उनका बेटा सही सलामत है और एक दुम्बा (अरब में भेड़ के समान जानवर) पड़ा है. तब से बकरे की कुर्बानी देने प्रचलन शुरू हो गया.
वही दिल्ली और आसपास के इलाकों में बारिश होने और बादल छाए रहने की वजह से चांद नहीं दिख पाया है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में चांद दिखा है.

मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी ना देकर बकरे की फोटो लगे केक को काटकर कुर्बानी दी

वही उत्तर प्रदेश के सीतपुर में बकरीद के दिन एक परिवार ने इस खास त्योहार पर बेहद अनोखे अंदाज से कुर्बानी कर मिसाल पेश की.  मोहल्ला ग्वालमंडी के रहने वाले मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी ना देकर बकरे की फोटो लगे केक को काटकर कुर्बानी दी.

इस मौके पर मेराज के साथ जिला पशु सेवा समिति के लोग भी मौजूद थे. मेराज ने बताया कुर्बानी के लिए बकरे और ऊंट की जरूरत नहीं है.  प्रतीकात्मक तौर पर भी यह त्योहार इस तरीके से मनाया जा सकता है.
मेराज के मुताबिक कुर्बानी देने के लिए दुनिया में और तमाम तरीके हैं. लोग रक्तदान करें, गरीब लड़कियों की शादी में मदद करें. विकलांगों की इलाज के आगे आएं. अल्लाह की इबादत में इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता. अल्लाह ने किसी के जीवन खत्म करने का हक इंसान को नहीं दिया है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बकरीद और कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी भी प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी नहीं होनी चाहिए. ऐसा कुछ भी न किया जाय जिससे किसी की भी भावनाएं आहत हों. वही कांवड़ यात्रा को लेकर सीएम ने कहा कि यात्रा में हथियारों का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए।

 

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