अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए तो भगवान खुद अपने भक्त से मिलने पहुंच जाते कहा पूज्य श्री रमाकान्त व्यास ने।
■भगवान तो प्रेम की भूखे होते हैं
■ भागवत भगवान के प्रति मात्र सच्चा समर्पण भाव होने से ही होने लगते हैं तुरंत लाभ और कल्याण।
कथा के दूसरा दिवस का प्रसंग
– विदुर चरित्र पर
उरई मे आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को कथा व्यास पूज्य श्री रमाकांत व्यास रावतपुरा धाम ने ध्रुव व विदुर चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाया तथा व्यास ने कहा कि अगर ध्रुव पांच साल की उम्र में भगवान को पा सकता है तो फिर हम कैसे पिछड सकते हैं अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए तो भगवान खुद अपनी भक्त से मिलने पहुंच जाते हैं कथा में झांकियां भी सजाई गई ।
वहीं विदुर प्रसंग पर भगवान कृष्ण की प्रेम की व्याकुलता की बारे में उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्णा विदुर जी की कुटिया में भोजन करने गए और वहां केले के छिलकों का भोग स्वीकार इससे पहले भी दुर्योधन के महल में छप्पन भोग का त्याग कर आए थे भगवान तो प्रेम की भूखे होते हैं और विदुर विदुरानी ने भगवान को प्रेम से भोजन करवाया तो उन्होंने केले की छिलके भी प्रेम से खा लिया ।
विधुर जी भगवान के भक्त थे और अपने जी मानव जीवन में भी धर्म का पालन करते थे हमेशा कोशिश करते थे कि महाराज र्धम का पालन करें उन्हें नीति शास्त्र का बड़ा ज्ञान था और वे धर्म के प्रचारक थे।
वह हमेशा पांडवों के हित में काम करते थे आगे कथा व्यास में बताया जब भी धृतराष्ट्र व दुर्योधन पांडवों के खिलवाड़ का सोचते थे तो विदुर जी उन्हें समझाने की कोशिश करते थे। धृतराष्ट्र उनकी बातों का सम्मान करते थे दुर्योधन विदुर जी से बैर रखना था जब लाक्षा भवन मे पाण्डवो को जलाने का षड्यंत्र रचा गया तब विदुर ने युधिष्ठिर को पहले ही सतर्क कर दिया और उसे खतरनाक ग्रह से बचने के लिए सब कुछ बता दिया
आगे उन्होंने भीष्म पितामह कुंती द्रौपदी की कथाओं को विस्तार से बताया
कथा व्यास ने कहा अच्छे लोगों को हमेशा न्याय और धर्म का पालन करना पसंद होता है वे अन्याय और धर्म के खिलाफ होते हैं और इसके खिलाफ आवाज भी उठाते हैं।