गरीबों को 8 माह से नहीं मिला गेहूं, केवल चावल बांटता रहा 

रिपोर्ट:विवेक तिवारी 

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मोंठ। तहसील के समीपवर्ती ग्राम जौंरा का उचित दर राशन विक्रेता 8 माह से गरीब उपभोक्ताओं को केवल चावल देकर चलता कर देता है और अवैध रूप से गेहूं बेचकर अपनी जेबें भर रहा है। और तो और कई बार लोगों के अंगूठा लगवाकर राशन न देकर भगा देता है। घटतौली कर कम मात्रा में राशन देने जैसे आरोप ग्रामीणों ने लगाए हैं। शिकायत पर अधिकारी मामले की जांच में जुटे हैं।

गरीबों को 8 माह से नहीं मिल रहा गेहूं-

ग्राम जौंरा निवासी सुनील पांचाल ने बताया कि वह अन्य लोगों की तरह अपना राशन लेने आया था लेकिन कोटेदार राशन की दुकान बंद करके चला गया और राशन देने से मना कर दिया है। पांचाल ने आरोप लगाया है कि बीती रात करीब 12:00 बजे लोडर के माध्यम से सरकारी राशन की दुकान से गेहूं भरकर गया है।

उक्त गेहूं की अवैध रूप से बिक्री कर कालाबाजारी की जा रही है। मौके पर दुकान में करीब 7-8 बोरियां ही रही होगीं, जिससे साफ होता है कि दुकान से रातों-रात राशन गायब हुआ है।

ग्राम आमखेरा निवासी शशिकांत ने बताया कि वह मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। सुबह से वह मजदूरी करने जाते हैं,लेकिन कोटेदार उन्हें राशन ना देकर परेशान करता है। जिससे उनकी दहाड़ी मजदूरी का नुकसान होता है। उन्हें बीते 8 महीने से केवल चावल देकर भगा दिया जाता और गेहूं नहीं दिया जा रहा है। बताया कि पिछले महीने कोटेदार ने अंगूठा तो लगवा लिया था लेकिन किसी को भी राशन वितरित नहीं किया। इसी के साथ कोटेदार पर भाई-भतीजावाद करने के भी आरोप लगाए गए हैं।

शिकायत के बाद जांच करने पहुंचे अधिकारी-

संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर अनेकों ग्राम वासियों ने झांसी जिलाधिकारी रविंद्र कुमार से कोटेदार की शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी। जिसके बाद प्रकरण ने जांच शुरू कर दी थी। शुक्रवार को जब कोटेदार ने लोगों को राशन देने से मना कर दिया तो उन्होंने इस बात से उपजिलाधिकारी मोंठ जितेंद्र वीरवाल को अवगत कराया, जिन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय आपूर्ति अधिकारी को मौके पर जांच के लिए भेजा तो अधिकारियों ने मामले में जांच शुरू कर दी है।

सवालों के घेरे में कोटेदार-

मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय आपूर्ति अधिकारी ने लोगों की समस्या सुनी तो लोगों ने बताया कि कोटेदार ने पिछले महीने का राशन नहीं दिया था जबकि अंगूठे लगवा लिए थे। जिस पर आपूर्ति अधिकारी ने लोगों का पिछले माह का राशन दिलाया, जबकि इस माह भी लोग बिना राशन के खाली हाथ घर लौट आए। जिसके बाद सवाल खड़ा होता है कि आखिर प्रति यूनिट के हिसाब से राशन उचित दर विक्रेता को सरकार की ओर से दिया जाता है तो राशन कहां जा रहा है? लोगों के आरोप के अनुसार पिछले 8 महीने से उन्हें गेहूं नहीं दिया गया तो वह गेहूं कौन खा गया? आधी रात को लोडर में भरकर आखिर कहां गया गेहूं? फिलहाल इन सवालों के जवाब तो स्पष्ट नहीं हुए हैं। अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।

देखना होगा मामले पर कोई कार्यवाही होती है या गरीबों के राशन पर कोटेदार डाका डालता रहेगा।

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