शासन सत्ता, अधिकारी – कर्मचारी भारत के जनमानस का परम सत्य- डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

मानवता का धर्म का नाटक दिखाना, अपने कर्म व कर्तव्य को सत्य रूप से न निभाना, यह है शासकीय कर्मचारियो, शासकीय अधिकारियो व सत्ता रुढ़ पदाधिकारियों का परम सत्य कारनामा, देश का मानव अशिक्षित व काहिल जाहिल बनते हुऐ रहते हुए हरामखोरी, मक्कारी लादकर सरकार, समाज के आगे हाथ फैलाना, कुत्ते जैसे टुकड़े मिलने पर अपने पौरूष पुरुषार्थ, गौरव गरिमा व स्वामिमान को भूल जाना ॥ 

नर हो न निराश करो मन को कुछ काम करो कुछ काम करो प्रभु ने तुमको कर दान किये सब वांछित वस्तु विधान किये । क्यों रक्खे हो निष्क्रिय तन को मन को, स्वंय की अकर्मण्यता से क्यो दुखी बनाते जीवन को, पहचानो अपने रूप स्वरूप अपने हाथो की ताकत को, छोड़ो दूसरो का आश्रय, सरकार, समाज, अन्य किसी मानव का, अपने पौरुष पुरुषार्थ का तुम वरण करो तुम वरण करो, कुछ भी दुर्लभ नहीं होगा तुमको जो चाहो सो प्राप्त करो।नर हो न निराश करो मन को कुछ काम करो कुछ काम करो।

डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

 

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