ग्वालियर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन 17 सितंबर पर
कूनो-पालपुर में अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग कार्यक्रम में होंगे शामिल।
- संभाग के अधिकारियों को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सोपी गई जिम्मेदारी
- ग्वालियर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को भी छह हजार लोगों को कूनो-पालपुर पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- लगभग 120 से ज्यादा बसें स्कूलों की अधिग्रहण होंगी बाकी रूट पर चलने वाली बसें होंगी
ऐसे में प्रशासन को करीब 250 बसों की आवश्यकता पड़ेगी। इसे लेकर प्रशासन ने जिले के अधिकांश निजी विद्यालयों की बसों को अधिग्रहित करने के आदेश जारी किए हैं।
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निजी स्कूल संचालकों ने अभिभावकों को मैसेज जारी कर 16 व 17 सितंबर का अवकाश घोषित
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इन बसों के अधिग्रहण से सबसे ज्यादा परेशानी होगी तो यात्री गण को। ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपने गंतव्य तक जाने में सबसे ज्यादा परेशाना होना पड़ेगा। हालांकि इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारी इस संबंध में बोलने से बच रहे हैं,
जबकि जिन स्कूलों की बसें अधिग्रहित की जा रही हैं उनकी तरफ से अभिभावकों को छुट्टी का संदेश भेजा गया है। इसमें 16 व 17 सितंबर को बसें शासकीय ड्यूटी पर रहेंगी
पांच जिलों से सवा लाख लोगों को लाने का लक्ष्य
पीएम की सभा में अधिक भीड़ दिखे,
इसके लिए श्योपुर समेत पांच जिलों से बसों को अधिग्रहित किया गया है। सभा में सवा लाख लोगों को लाने ले जाने का लक्ष्य मिला। लक्ष्य मिलने के बाद जिला प्रशासन इन लोगों को लाने ले जाने के लिए श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना, गुना और ग्वालियर जिले के विभिन्न रूटों पर चल रहीं 1800 बसों को परिवहन विभाग के माध्यम से अधिगृहित कराया गया है। 15 सितम्बर की रात बसें एक जगह एकत्रित कर ली जाएंगी
लोगों को पीएम की सभा में लाने ले जाने के लिए प्रशासन द्वारा जो बसें अधिगृहित की गई है, उसमें 808 बसें श्योपुर और 992 शिवपुरी, गुना, मुरैना और ग्वालियर की शामिल हैं
20 जुलाई को भारत और नामीबिया के बीच इसे लेकर करार हुआ था.
सीएम शिवराज सिंह ने इस पर बधाई देते हुए इन चीतों के मेडिकल प्रशिक्षण की तस्वीर ट्विटर पर साझा की और लिखा कि मध्य प्रदेश इन चीतों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.
केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव ने कहा कि पीएम मोदी अपना जन्मदिन चंबल की धरती पर मनाने जा रहे हैं और चीते भी भारत आ रहे हैं तो चंबल इतिहास रचने जा रहा है.
आगे चीता कार्य योजना के बारे में भूपेंद्र यादव ने कहा, ”प्रोजेक्ट चीता का उद्देश्य स्वतंत्र भारत में विलुप्त हो जाने वाले अकेले बड़े स्तनधारी को वापस लाना है.”