साध्वी मिथलेश्वरी दीक्षित चित्रकूट धाम ने कहा निष्काम भाव से भक्ति करने वालो की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
■वही राम-केवट संवाद पर भाव-विभोर हुए भक्त
जनपद गाजीपुर के मलसा – के काली माता मन्दिर के सामने स्थित शिव पूजन इंटर कालेज मलसा परिसर में चल रही श्री रामकथा में राम वनवास, भरत मिलाप और राम-केवट संवाद की कथा का प्रसंग सुनाया गया।
जिसमे भक्तों के चेहरो पर बडे ही भाव बिभोर की रेखा स्पष्ट रूप से दिख रही थी ।
चित्रकूट धाम से पधारीं साध्वी मिथिलेश्वरी दीक्षित ने कहा कि भरत जैसा भाई इस युग में मिलना मुश्किल है। लेकिन वही प्रेम आज मालसा वासियो के हृदय में देखने को मिल रहा है यह अत्यंत गर्व और खुशी की बात है।
वही राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनकर भक्त भाव-विभोर हो गए।
साध्वी मिठेश्वरी ने कहा भगवान राम मर्यादा स्थापित करने को मानव शरीर में अवतरित हुए।
वही पिता की आज्ञा मानी और वह वन भी चले गए।
जब भगवान श्रीराम जी वन जाने के लिए गंगा घाट पर पहुंच कर केवट से नाव पास लाने को कहते हैं।
लेकिन वही केवट मना कर देता है और पहले वह प्रभु श्री राम की पैर पखारने की बात कहता है।
केवट भगवान का पैर धुले बगैर नाव में बैठाने को तैयार नहीं होता है। इस डर था की कहानी नो डूब ना जाए हम हमारी रोजी-रोटी का तो बस एक ही यही सहारा है वह प्रभु के चरण धोकर अपने आप को तारना भी चाहता था
आपको बता दे कि राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनकर श्रोतागण केवट के भक्ति भाव सुनकर आनंदित हुये।
वही साथ भी मिथिलेश्वरी चित्रकूट धाम द्वारा कहा गया कि जीवन में भक्ति और उपासना का अलग महत्व है।
निष्काम भाव से भक्ति करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्श समाज में आज भी कायम है। भगवान प्रेम भाव देने वाले का हमेशा कल्याण करते हैं।
श्री रामचरितमानस कथा में व काली माता मंदिर दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है।