*शिक्षा में भारतीय संस्कृति एवंं मूल्यों का विशेष स्थान – डॉ.आभा मिश्र*

*औपचारिक शिक्षा या नियमित रोजगार में नहीं रहने वाले युवाओं का किया सर्वेक्षण******
देवरिया,बरहज मे कार्यक्रम अधिकारी डॉ.विनीत कुमार पांडेय के नेतृत्व में चयनित गांव मोहांव में चल रहे बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के विशेष शिविर के छठवें दिन स्वयंसेवकों ने मोहांव गांव में घर घर घूमकर औपचारिक शिक्षा या नियमित रोजगार में नहीं रहने वाले युवाओं का सर्वेक्षण किया। बौद्धिक सत्र में मुख्य अतिथि अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.आभा मिश्र ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़ना होगा। संवेदनाओं के साथ ज्ञान अर्थव्यवस्था को अर्जन कर सकते हैं। बौद्धिक पूंजी का सृजन और प्रवर्तन करके भारत विश्वगुरु बन सकता है। मूल्य शिक्षा व्यक्तियों के व्यक्तित्व विकास पर जोर देती है ताकि उनका भविष्य संवर सके और कठिन परिस्थितियों से आसानी से निपटा जा सके। यह बच्चों को ढालता है, ताकि वे अपने सामाजिक, नैतिक और लोकतांत्रिक कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक संभालते हुए बदलते वातावरण से जुड़ जाएं। मनोविज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.संजय कुमार सिंह ने मानसिक विकृति पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कहा कि आज हमे चिंता, द्वंद्व, भय और कुंठा से बचना चाहिए। समाज शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अरविंद पांडेय ने चरित्र निर्माण पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में उच्च चरित्र का होना आवश्यक है। शिक्षा शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अवधेश यादव ने अवधेश यादव ने आधुनिक शिक्षा पर और समाजशास्त्री डॉ.धनंजय तिवारी ने सामाजीकरण पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम अधिकारी डॉ.विनीत कुमार पांडेय ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रमुख रूप से डॉ.धनन्जय तिवारी, डॉ.अवधेश यादव, शुभम् सिंह, निहाल सिंह, गार्गी विश्वकर्मा, अंकिता मिश्रा, स्नेहा कंचन, सबीना खातून, दिव्या मद्धेशिया, अंकिता तिवारी, प्रदीप, अब्दुल रोशन आदि मौजूद रहे।

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