गुरसरांय। आज के समय मे लोगो के अंदर से मानवता खत्म होती जा रही है। इसलिए आज ज्यादातर बुजुर्ग व्यक्ति अपने आपको बुजुर्ग मान बैठे हैं। 

क्योंकि उन्हें भरोसा रहता है, कि बुढापे में एक मात्र सहारा अपने बेटे का रहेगा तो हमे कोई चिंता नही करनी पड़ेंगी। लेकिन आज इन बृद्ध लोगो के लिए अपने ही पराये हो गए हैं। और उन्हें मजबूरन अपनो का सहारा न मिलकर औरो का सहारा लेना पड़ रहा है। ताकि बह अपना बुढापा काट सके।

 

 

बेसहारों का सहारा थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी की कमी खल रही है

 

 

एक हफ्ते पहले गुरसरांय थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी गुरसरांय में तैनात रहते हुए प्रतिदिन सुबह नहीं तो शाम वृद्ध आश्रम वृद्ध असहाय लोगों के बीच जाकर उनके भोजन कपड़े आदि रहने की व्यवस्था खुद जहां कमी हो अपने निजी पोकट से पूरी किया करते थे तो वृद्ध और असहाय लोग कोई उन्हें अपना बेटा कोई भाई तो कोई अपना एक ईश्वर के रूप में उन्हें मानता था और अरुण कुमार तिवारी भी शाम को खाना तभी ही खाते थे जब वृद्ध असहायों लोगों की व्यवस्था पूरी तरह चौकस कर देते थे और आज एक हफ्ते समाचार लिखे जाने समय तक उनका स्थानांतरण बड़ागांव थाना हो गया है और इस कड़ाके की सर्दी के बीच वृद्ध असहाय लोग जब कस्बे के लोग और क्षेत्र के लोग वृद्ध आश्रम पहुंचे तो कहने लगे अरे साहब हम बेसहारों बुजुर्गों का सहारा तो 1 हफ्ते से गुरसरांय से चला गया है और अब हमारी मुसीबत बढ़ गई है काश झांसी जिले की पुलिस को गर्व होना चाहिए की गुरसरांय से जाने के बाद भी पुलिस विभाग के थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी के रूप में झांसी जनपद के पुलिस कप्तान राजेश एस कि लोग तारीफ कर रहे हैं कि उनके पास मानवता से भरे अधिकारी भी उनके पास है बुजुर्गों का कहना है कम से कम जाड़ों में पुलिस कप्तान बड़ागांव थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी को गुरसरांय भेज दे तो हमारी मुसीबतें अपने में खुद खत्म हो जाएंगी।

मदद– कहते हैं कि इंसानियत किसी न किसी के अंदर होती है, और बह इंसानियत के नाते अपना फर्ज समझकर निभाते हैं,

जी हां हम बात कर रहे हैं, गुरसरांय नगर में स्थापित एक बृद्ध आश्रम की जो आज ब्रद्धो के लिए एकमात्र सहारा है। और उसी आश्रम में रहकर ये बृद्ध अपना जीबन यापन कर रहे हैं।

इस बृद्ध आश्रम की स्थापना सुरेंद्र तिबारी के संयोजन में सन 2020 में हुई थी, इसकी देखभाल जितेंद व्यास और चंदन सिंह कर रहे हैं।

उनका कहना है, कि यह बृद्ध आश्रम भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है। और इसमें गुरसरांय सहित अन्य क्षेत्रों के बुजुर्ग रह रहे हैं, और उनकी देखभाल के लिए स्टाफ भी मौजूद हैं, जिससे कि उन्हें कोई परेशानी का सामना न करना पडे,

आश्रम व्यबस्थापक- जितेंद व्यास ने बताया कि इस आश्रम में 40 से 45 बुजुर्ग व्यक्ति रहते हैं, जिसमे उनकी देखभाल के लिए 2 से 3 हजार रुपये प्रतिदिन का खर्चा आ जाता है। उनका कहना है, कि किराए की बिल्डिंग में यह बृद्ध आश्रम चलाना पड रहा है। 30 हजार रुपये बिल्डिंग का किराया भी देना पड़ता है। जनप्रतिनिधि भी इस और ध्यान नही देते हैं, उन्होंने कहा कि यह बृद्ध आश्रम बड़ागाँव थानाध्यक्ष अरुण कुमार तिवारी, एरच थानाध्यक्ष त्रिदेव सिंह, दीपू सिंह, अरुण नायक, अंकित सेंगर, अजय वर्मा, मोहनीश अग्रवाल, अखिलेश तिबारी, प्रसिद्ध नारायण यादव, अबधेश सिंह फौजी, समीर जैन, संदीप श्रीबास्तव, प्रेमनारायण एरच बाले, सहित अन्य क्षेत्रों के लोग बुजुर्गों की सेबा के लिए मदद करते हैं, तो यह आश्रम चल पा रहा है,

[डॉक्टर की मांग-]

बृद्ध आश्रम में बुजुर्गों के इलाज के लिए कोई भी डॉक्टर नही है, जिससे बृद्ध बीमारियों को लेकर काफी परेशान रहते हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य की दूरी 5 कि०मी० होने के कारण बृद्ध इलाज के लिए नही जा पाते हैं, इसलिए उन्होंने बृद्ध आश्रम में ही एक सरकारी डॉक्टर की मांग की है।

(सरकारी सहायता राशि की मांग)

सुरेंद्र तिवारी, जितेंद्र व्यास, और चंदन सिंह, की देखरेख में चलाए जा रहे बृद्ध आश्रम को भारत सरकार द्वारा स्थापित तो करा दिया गया लेकिन उन्हें न तो कोई सरकारी बिल्डिंग दी गयी औऱ न ही कोई सरकारी सहायता राशि जिससे कि यह बृद्ध आश्रम चल सके, 2020 से स्थापित यह बृद्ध आश्रम 3 साल बीत जाने के बाद भी सरकारी बिल्डिंग और सरकारी सहायता राशि का मोहताज है, और आज भी उन्हें सिर्फ क्षेत्र के कुछ लोगो के सहयोग से यह आश्रम चलाना पड़ रहा है, उनका कहना है, की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अगर बृद्ध आश्रम के लिए सरकारी बिल्डिंग और 40 से 45 बुजुर्गों की देखभाल के लिए सहायता राशि मिलने लगे तो यह आश्रम आसानी से चलाया जा सकेगा। 

और हमे परेशानियों का सामना नही करना पड़ेगा।

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