सत्संग सुनने के लिए देवता भी मनुष्य बनने के लिए तरसते हैं पीठाधीश्वर महंत राघव दास जी ने

रिपोर्ट  : आयुष त्रिपाठी focusnews24x7 

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गुरसरांय।आपको बता दें कि कथा वाचन करते हुए अयोध्या जगन्नाथ पीठाधीश्वर महंत राघव दास जी महाराज ने कहा कि सत्संग सुनने के लिए देवता भी मनुष्य बनने के लिए तरसते हैं

  1. उन्होंने कहा वेद पुराण समुद्र है। इसमें सब कुछ भरा पड़ा है, जैसे समुद्र के दो किनारे होते हैं, उसी प्रकार संसार सागर के दो किनारे हैं, उसी प्रकार जन्म एवं मृत्यु दो किनारे है। समुद्र में जल अपार है लेकिन उससे प्यास नहीं बुझाई जा सकती है। समुद्र में विष एवं अमृत दोनों है, इसी प्रकार संसार में सुख एवं दुख दोनों है। जीवन में मौत का किनारा किसी को दिखाई नहीं देता है। ऐसा ही समुद्र का किनारा किसी को दिखाई नहीं देता ।कथा का पूजन पंडित अनिल मिश्रा पंडा ने कराया।

कथा की आरती मुकुंद पालीवाल, चेयरमैन पं देवेश पालीवाल, योगेश पालीवाल, इंजीनियर आदित्य पालीवाल ने की।
इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक जवाहरलाल राजपूत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ब्रजलाल खाबरी, भाजपा जिला महामंत्री बद्रीप्रसाद त्रिपाठी, व्यापार मंडल अध्यक्ष सतीशचन्द्र चौरसिया आदि सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे।

*गुरसरांय से आयुष त्रिपाठी की रिपोर्ट*

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