बापूजी ने कहा की बेटियां घर की लक्ष्मी होती है
रिपोर्ट : विनय पचौरी
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पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू जी ने कन्या विवाह पर विशेष चर्चा की और आज के इस युग में उन्होंने कहा कि
क्या नाटक बना कर रखा शादियो के नाम पर आज के समाज के कुछ लोगो ने ।
भाई आज के समय की शादी के नाम पर घरो मे सौदेबाजी चल रही है आगे कहा तो आप ऐसे घर के प्रीति क्या अपेक्षा रखोगे जिससे आप एक करोड दहेज में ले रहे हो। ऐसे लोग आपसे शादी नही सौदा करते है।
कहा बापू जी ने ।अतः आप क्या कह सकते तो कि आप लक्ष्मी नही लाये हो आप सौदा करके कोई वस्तु लिये हो ।
और जहा सौदेबाजी होती है वहा घर पर सकुन नही होता है उस परिवार पर।
बापूजी ने कहा की बेटियां घर की लक्ष्मी होती है और जिसके घर लक्ष्मी आ रही है और तो उसके घर दहेज की क्या जरूरत है।
जब हम दूल्हे को राजा बोलते हैं दूल्हे राजा को तो दूल्हा राजा ही रहे दो भिखारी कैसे बना सकता परिवार
यह हमारे पूर्वजों की संस्कृति सभ्यता और परिवार में दिए गए संस्कारों की झलक द्वारा साफ प्रदर्शित होता है।
बापूजी ने कहा अगर दूल्हे राजा बने है तो राजा ही बने रहना।
भिखारी बनकर दहेज मत मागो ।
आप जानते हैं कलयुग लाख बुरा है पर साधु बुराइयां नहीं देखते हैं केवल अच्छाइयों पर ही ध्यान रखते हैं कलयुग लाख बुरा है पर कलयुग में एक अच्छाई है वह क्या और बापूजी ने कलयुग पर संगीतमय तरीके से विस्तृत चर्चा की गुनगुनाते हुये कहा कि
“कलयुग केवल नाम अधारा सुमिरन नर उतरती पारा ।”
इसी क्रम में उन्होंने एक से बढ़कर एक संगीतमय श्रीराम पर चर्चा की।
“हो गये भव से पार लेकर प्रभु नाम तेरा – 2”
आगे उन्होंने कहा संत लोग बुरे में भी अच्छा देखने का प्रयास करते हैं। जैसी शहद की मक्खी फूल के रस को ही ग्रहण करती है इसी तरीके समाज में भी बहुत सारे लोग होते हैं जो प्रभु कृपा से अच्छे कार्यों की ओर उन्मुख हो जाते हैं पर बहुत से लोग अच्छाइयों को छोड़कर व्यक्ति की बुराइयों की ओर ही अपना ध्यान केंद्रित करते हैं और ऐसे व्यक्तियों का ध्यान केवल बुराइयों पर ही केंद्रित होता है प्रत्येक जगह पर ।
आगे उन्होंने इस पर एक संत की विस्तृत चर्चा करते हुए दृष्टांत गंगा मे स्नान का उदाहरण देकर समझाया।
इसी पर उन्होंने कहा अमरीश शर्मा गुड्डू भैया को अगर अपने माता-पिता को कथा सुनानी हीं थी तो किसी भी कथा पंडाल में बैठाकर केवल उनको कथा सुना सकते थे ।
पर उदार स्वभाव वाले अमरीश शर्मा गुड्डू भैया का ध्यान तो अपने लहार वासियों क्षेत्र वासियों के प्रेम की ओर है अपने क्षेत्र के लोगों से उनका अमित प्यार है
उदार स्वभाव वाले अमरीश शर्मा गुड्डू भैया द्वारा श्रीमद् भागवत कथा को रसपान समूचे लहार क्षेत्र को श्रवण कराने भाव वंदनीय है।
बापू जी ने कहा कि इसी भाव से ओतपोत उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा रसपान को समूचे लहार क्षेत्र को श्रवण कराने का जो सौभाग्य प्राप्त हुआ वह सब उनके साथ ईश्वर की कृपा है भगवान के प्रति भक्ति भाव है। वही कथा मे प्रत्येक दिन हजारो श्रद्धालुओं को भोजन कराने का जो संकल्प लिया वह अतुलनीय वंदनीय है। वही तालियों की गड़गड़ाहट के साथ पूरा पंडाल समूह भक्ति भाव से गूंज उठा।