क्या 2000 के नोट काले धन को छिपाने का जरिया बनते जा रहे थे? पर इस धारणा को निराधार भी नहीं कर सकते।
रिजर्व बैंक के ताजा फैसले को नोटबंदी की संज्ञा देना उचित नहीं होगा
रिपोर्ट : विनय पचौरी
focusnews24x7.com
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- अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए यह भी आवश्यक होता मुद्रा के भविष्य को लेकर किसी तरह की की कोई दुविधा ना रहे।
- दो हजार के नोट काले धन छिपाने का जरिया बने हुए थे यह तथ्य निराधार नही है कहा फोकस न्यूज24×7 के प्रधान संपादक विनय पचौरी ने
रिजर्व बैंक की ओर से ₹2000 के नोट वापस लेने का फैसला अप्रत्याशित ही है क्योंकि एक ओर तो उनके चलन के समय ही कई तरह के प्रश्नों किए थे वहीं दूसरी ओर उनका प्रचलन लगातार कम होता जा रहा था ।
बाजारों में इन सबके अतिरिक्त बार-बार यह भी विचार किया जा रहा था कि 2000 के नोट काले धन को छिपाने का जरिया बनते जा रहे हैं इस धारणा को पूरी तौर पर निराधार भी नहीं कहा जा सकता।
कायदे से ₹2000 के नोट चलन में लाने ही नहीं चाहिए थे। लेकिन नोटबंदी के बाद बाजार में मुद्रा का प्रवाह शीघ्र हो पाए इसलिए यह आवश्यक भी था जरूरी भी था इसमें संदेह नहीं कि 2000 के नोट मुद्रा के प्रभाव में बहुत ही सहायक बने एक तरह से वे मजबूरी में लाए गए थे यह बात बहुत सही भी है कि इस मजबूरी से मुक्त होने का फैसला किया गया ऐसे किसी फैसले के आसार तभी उभर आए थे ।
जब यह खबर आई थी कि 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई है ।
इसके बाद तो संसद में भी 2000 के नोट बंद करने की मांग उठी थी हालांकि कई विपक्षी दलों को रिजर्व बैंक का फैसला रास नहीं आया लेकिन उनकी ओर से यह जो आशंका व्यक्त की जा रही है कि इससे लोगों को परेशानी हो सकती है या फिर अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा वह निराधार ही अधिक है ।
₹2000 के नोट को चलन से बाहर करने के फैसले से यदि किसी को परेशानी होने वाली है तो काला धन छिपाने वालों को ।
ऐसे लोगों को परेशान ही होना चाहिए ₹2000 के नोटों को वापस लाने के रिजर्व बैंक के फैसले के बाद सरकार इस बार सितंबर के बाद इन नोटों को भविष्य में और उनके भविष्य को लेकर फैसला करेगी फिलहाल आशा इसी की हैं और यही कहा जा सकता है कि 2000 के नोटों को हमेशा के लिए चलन से बाहर करने का फैसला लिया जा सकता है ।
जो भी हो पर रिजर्व बैंक के ताजा फैसले को नोटबंदी की संज्ञा देना उचित नहीं होगा।
क्योंकि लोग 30 सितंबर तक एक बार में 20000 के दो-दो हजार के नोट बदल सकते हैं ।
इसके साथ ही उन्हें ग्राहकों के खातों में जमा भी किया जा सकता है ।
इस सुविधा के बाद भी 2000 के नोट के भविष्य को लेकर जो भी फैसला लिया जाए वह ठोक बजा कर लिया जाना चाहिए। भविष्य में किसी तरह के संशय के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए
जैसे नोटबंदी जैसे फैसले बार-बार नहीं लिए जा सकते वैसे ही किसी राशि मुद्रा के नोटों के चलन के बाहर करने का फैसला भी बार-बार लिए जाने वाले ऐसे फैसले मुद्रा के प्रति लोगों के भरोसे को कम करते हैं। अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए यह भी आवश्यक होता है कि मुद्रा के भविष्य को लेकर किसी तरह की की कोई दुविधा ना रहे