पृथ्वीराज चौहान और बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल के युद्ध का गवाह है बैरागढ़

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रिपोर्ट : प्रदीप शिवहरे 

फोकस News24x7 

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यहां पर ज्ञान की देवी सरस्वती मां शारदा के रूप में विराजमान है

जालौन। उरई ऐट में शक्ति पीठ शारदा की दूर-दूर तक ख्याति है। शक्ति पीठ बैरागढ़ मन्दिर की स्थापना ग्यारहवीं सदी में शारदा देवी का यह मन्दिर उत्तर प्रदेश के जिला जालौन के मुख्यालय से ऐट वहां से लगभग पांच किलोमीटर दूरी है।

यहां  साल-भर लोग दर्शन के लिए तांता लगा रहता है व नवरात्रि में तो यहां पर भव्य तरीके से स्थानीय लोगों व क्षेत्रीय लोगों द्वारा व माता रानी के भक्तों द्वारा भव्य तरीके से आयोजन किए जाते हैं

मनोकामनाएं पूर्ण हो का आशीर्वाद प्राप्त करते भक्तगण

यह मंदिर आखिरी राजा पृथ्वीराज और बुन्देलखंड के वीर योद्धा आल्हा-ऊदल के युद्ध का भी गवाह स्थल रहा है. आल्हा ने बैराग लिया वहीं से नाम नाम पड़ा बैरागढ़ पृथ्वीराज चौहान बुंदेलखंड के वीर आल्हा ऊदल युद्ध की गवाह हैं बैरागढ़

सॉन्ग वहां पर अभी स्थित है सॉन्ग की बहुत ऊंचाई है सॉन्ग का बजन कई मन है यह सॉन्ग स्वयं आला द्वारा गाड़ी गई है

यहां पर ज्ञान की देवी सरस्वती मां शारदा के रूप में विराजमान हैं.. मां शारदा का शक्ति पीठ

आदिकाल में हुआ था निर्माण
के अनुसार यह मन्दिर आदिकाल में निर्मित कराया गया था और मां शारदा की मूर्ति मन्दिर के पीछे बने एक कुंड से निकली थी.

कुंड में नहाने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग

मंदिर के पुजारी श्याम महाराज के अनुसार मंदिर के पीछे चमत्कारी कुंड है ऐसी मान्यता है कि मां शारदा शक्तिपीठ मे बने इस कुंड इस नहाने से किसी भी प्रकार के चरम रोग नष्ट हो जाते हैं इसलिए नहाने के लिए लोगों का ताला लगा रहता है  पीड़ित रोगी पानी बोतल भर कर अपने घर ले जाते हैं

मां शारदा शक्ति पीठ के बारे में दर्शन करने वाले लोगों के अनुसार अनेक रूपों में दिखाई देती है. है. जिनके दर्शनों  से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालू दर्शन करने आते हैं.

पृथ्वीराज ने बुन्देलखंड को जीतने के उद्देश्य से ग्यारहवीं सदी के बुन्देलखंड के तत्कालीन चन्देल राजा परमर्दि देव (राजा परमाल) पर चढ़ाई की पृथ्वीराज और आल्हा के युद्ध की साक्षी
मां शारदा शक्ति पीठ पृथ्वीराज और आल्हा के युद्ध की साक्षी है। उस समय चन्देलों की राजधानी महोबा थी.

भोले बाबा का प्राचीन मंदिर है उनके सामने बेला का चबूतरा है वहां पर बेला सती हुई थी

मां शारदा का मंदिर सुवेदा ऋषि की तपोभूमि है ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां शारदा कुंड से प्रकट हुई थी

दर्शन करने वाले लोगों के अनुसार मां शारदा तीन रूप में दिखाई देती

इसलिए इस स्थान को मां शारदा शक्ति पीठ कहा जाता है दर्शन करने वाले लोगों के अनुसार मां शारदा तीन रूप में दिखाई देती है

 

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