पेशेवर जमानतगीरों के बड़े गिरोह का भंडाफोड़, 7 लोग पकड़े, अभी कई अन्य रडार पर

 

उरई।

संगीन अपराधों में संलिप्त लोगों को किराये के जमानतदारों के फर्जी कागजों पर जेल से रिहा कराने में मदद देने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। यह गिरोह 25 वर्षों से यह धंधा चला रहा था लेकिन कभी पकड़ा नहीं गया था। गिरोह के सरगना लखन यादव निवासी बनफरा सहित 7 लोग अभी गिरफ्तार किये गये हैं जबकि इनके नेटवर्क में अभी कई और लोग शामिल हैं जिनमें अधिवक्ता भी हैं। इनके बारे में छानबीन चल रही है और बाद में बेनकाब होने वाले अन्य चेहरों को भी जेल भेजा जायेगा। धोखाधड़ी की धाराओं के अलावा इन पर गैंगस्टर भी तामील होगा।

पुलिस अधीक्षक ईरज राजा ने इस बारे में मीडिया को जानकारी देते हुये कहा कि कोतवाली में आयी एक शिकायत की छानबीन के क्रम में उक्त गिरोह की करतूतें सामने आयीं। उरई के न्यायालयों के अतिरिक्त कानपुर देहात, औरेया आदि जनपदों में भी गिरोह के द्वारा कई अपराधियों को जेल से बाहर आने के लिये किराये के जमीदार उपलब्ध कराये हैं।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जब किसी व्यक्ति की किसी बड़े अपराध में जमानत मंजूर हो जाती थी तो जमानतगीरों की व्यवस्था के लिये उक्त गिरोह से संपर्क रखने वाले अधिवक्ता गिरोह के सरगना लाखन सिंह का नाम आरोपी को सुझा देते थे। इसके बदले में लाखन सिंह मोटी रकम लेता था जो पेशेवर जमानतगीरों में बांटी जाती थी।

लाखन सिंह के अलावा धमनी बुजुर्ग का दुर्गाप्रसाद, आटा थाने के करमेर का श्यामशरण राजपूत, गढ़र का कमलेश कुशवाहा, करमेर का ही नंद किशोर, डकोर थाने के ऐर का घनश्याम और राजकुमार भी उसके साथ पकड़े गये हैं। इन सभी के कागजात फर्जी मिले।

पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि फर्जी जमानतें भरने वालों की गिरफ्तारी से संगीन अपराधियों को अपनी जल्द रिहायी कराने में मुश्किल होगी। उन्होंने कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक शिवकुमार सिंह राठौर सहित उनकी टीम की इस उपलब्धि के लिये पीठ थपथपाई।

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