राजनीति व उसके पद व अस्तित्व का सारा का सारा श्रेय उसके कार्यकर्ताओं के कृत्यों एवं अच्छे बुरे चरित्र । समाज, राष्ट्र व देश की जनता के साथ अच्छा या बुरा तथा लूट युक्त व्यवहार पर ही जाता है । प्रत्याशी विधायक से लगाकर मुख्यमंत्री तक तथा सांसद से लगाकर प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने के लिए इन्हीं जीते प्रत्याशी राजनेताओं के बीच से व्यक्ति चुना जाता है इस प्रक्रिया के प्रदर्शन में मुख्य भूमिका का निर्वाह यथार्थ रुप से नेता पद पर आसीन करने में तथा गद्दी से उतारने में विभिन्न विभिन्न पार्टियों के छोटे से लगाकर बड़े बड़े कार्यकर्ता मुख्य भूमिका निभाते हैं। वर्तमान की स्वार्थपरक राजनीति में इनको मध्यस्थ , ब्रोकर , चारण कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह कार्यकर्ता व नेता प्रदेश व देश के मुख्य पदों पर आसीन कराकर उनसे विभिन्न राष्ट्रीय व प्रदेशीय समस्याओं के उन्मूलन हेतु विभिन्न योजनाओं में भागीदार बनकर राष्ट्रीय कोष का बंदरबांट करके जब तक विधानसभा से लोकसभा तक बैठे इनके विधायक व सांसद हैं तब तक पूर्ण ऐश्वर्य मय जीवन व्यतीत करके राष्ट्र की भागीदारी व ठेकेदारी का निर्वाह करते हुए देश प्रदेश की जनता का भरपूर शोषण व दोहन जनता के आवश्यकीय कार्य जिन कार्यों को करने का आश्वासन चुनाव दौरान भाषणों के माध्यम से ये लोग देते हैं । उन्हीं के पहुंचाये गये राजनेताओं से जनता से धन लेकर पूर्ति करवाने में मध्यस्थगीरी करते हैं। यह इन मध्यस्थों यही कार्य व्यापार होता है । राजनेताओं को सत्ता तक आसीन कराने में इनकी मुख्य भूमिका होने के कारण सत्तासीन राजनेताओं की सरकारी योजनाओं की सारी सुविधायें सर्वप्रथम इन्ही चारणों के द्वार से होकर गुजरती हैं। देश में पर्याप्त शिक्षित नागरिक न होने से जनता अपने अधिकारों के प्रति अति जागरूक न होने के कारण भारत का जनमानस मात्र अपनी ही समस्याओं का स्वयं के द्वारा निराकरण में लगे रहने के कारण, जो दायित्व सरकार के हैं और शासन में छल छद्म व भ्रष्ट आचरण युक्त व्यक्तियों के विधायक व सांसद बन जाने कारण मात्र इन नेताओं से झूठे आश्वासन समाज व जनता की समस्याओं के निराकरण हेतु मात्र मिलने से स्वयं अपनी व अपने बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा , जीवन निर्वाह व्यवस्था इन्हीं में उलझे रहने के कारण राजनीति के प्रति उदासीन रहते हुए आधे मनोमस्तिष्क से अस्वस्थ होकर तमाम दंश झेलते रहते हैं। भारत / प्रदेश में वर्तमान समय में राजनीति इतने किलिष्ट ( कठिन ) समय से गुजर रही है। जो भारत एवं प्रदेश के जनमानस को दुःखदायी सिद्ध हो ही रही है, लेकिन साथ में देश को आग लगाने वाला देश का दीपक ही जो ऐश्वर्य मय जीवन और भोगों के लालच में फंसकर किन्ही भी विषयों पर नीति / अनीति न देखते हुए अगर जनता के मन भरने की बात है । तो छल छद्म से ओतप्रोत होकर मीठी वाणी की कला से अपना काम चला लेते हैं अथवा बना लेते हैं अर्थात दोहरे चरित्र के अधिकांशतया नेता अभ्यास बना लेते हैं और जनता को बेवकूफ बनाये जाने की मुख्य भूमिका निभाते हैं । राजनीति में राष्ट्रवादी महामानवों का अभाव हो गया है । जिस कारण बेईमानी , भ्रष्टाचार , लूट , चोरी, डकैती , गुन्डई, बलत्कार बढ़ रहे हैं। आजकल राजनीति में क्षेत्रीयवाद , जातिवाद , परिवार , भाई भतीजावाद , कूटनीति छलनीतिवाद , मित्र दोस्तीवाद भरपूर जोरों से बढ़ता चला जा रहा है। आत्मवत्आत्मीयतावाद सत्यनीतिवाद घटता चला जा रहा है । जिसने वर्तमान में वर्तमान पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है । कि क्या कभी वह समय आ पायेगा जिसकी कल्पना गरीब मजदूर एवं ईमानदार व्यक्ति अपने सपनों का यथार्थ जीवन संचालित कर पायेगा ? यह भविष्य के गर्भ में है । क्या व्यक्ति मूल सत्य सृष्टि सृजेता , पालनकर्ता संहारणकर्ता के सत्य को पूर्ण परमसत्य रूप में मानन , पालन ,धारण कर पायेगा व उससे व उसके पूर्ण परमसत्य न्याय से सदैव डरेगा, डर पायेगा तथा उसके नीति नियम विधान को अपना पायेगा और जीव, प्राणी , मानव के प्रति सत्य आत्मीय भाव लाकर सत्य युग , महामानव युग बनायेगा , जियेगा व प्रत्येक आत्मिक बंधु को आत्मिक भाव से स्वीकार करते हुए ईश्वरीय परमसत्ता ,सर्वोच्च सत्ता के सत्य को सत्य के राज्य के रुप में विस्थापित कर पायेगा । यह सब भविष्य के गर्भ में है? जो मानव व मानवीयता के ऊपर है। अर्थात् मानव में मानवता की जागृति के ऊपर है।

– डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

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