मैदानी इलाकों में लोगों के डर का कारण बना हुआ है गंगा और यमुना नदी का जलस्तर इन नदियों का जिस तरह से अपने तेवर दिखा रहा हैं उससे आस-पास के इलाके में दहशत है और कई गांवों का पलायन शुरु हो गया है। लोगों को डर है कि अगर जलस्तर और बढ़ता है तो यह उनके लिए मुसीबत बन जायेगा।

  • बाढ़ की आशंका को देखते हुए एनडीआरएफ की टीमें तैयारी में लगी हुई हैं। टीम के सदस्य इन इलाकों पर लगातार निगरानी रख रहे हैं।
  • कई जिलों के प्रशासन, सिंचाई समेत अन्य विभागों के अफसरों एवं कर्मचारियों की टीम भी निचले इलाकों पर लगातार नजर रख रही है।
  • प्रयागराज के कछारी इलाके में भी बाढ़ का खतरा
  • यहाँ बदरा सोनौटी के करीब एक दर्जन गांव बाढ़ के पानी में घिर गए हैं। इसकी वजह से इन गांव के लोगों का अन्य स्थानों से संपर्क टूट गया है।
  • कानपुर के दातागंज और सहसवान तहसील के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुसा

गंगा में नरौरा से 81336, बिजनौर से 48110 और हरिद्वार से 57634 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस बीच मीटर गेज पर गंगा का जलस्तर 162.52 मीटर दर्ज किया गया। मीटर गेज पर खतरे का निशान 162 मीटर पर है।

भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में भी गंगा नदी रौद्र रूप दिखा रही हैं। हालत यह हो गई है कि गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से एक मीटर नीचे बह रहा है।

हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदी उफान पर, डर के साए में जीने को मजबूर किनारे बसे ग्रामीण

बाढ़ विभाग के इंजीनियर ने बताया कि यमुना नदी में हथिनी कुंड से 2.22 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, तो वहीं बेतवा नदी में माताटीला बांध और लहचूरा बांध से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिसकी वजह से दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है.

24 घंटे स्टाफ रख रहे हैं नजर

अधिशासी अभियंता करण पाल ने बताया कि यमुना में पानी अभी नहीं छोड़ा गया है,जो पहले छोड़ा था उसका इफेक्ट आ चुका है. कोई ऐसी समस्या नहीं है. यहां पर भी हमने पूरा अलेर्ट कर रखा है. 24 घंटे पूरा स्टाफ लगा हुआ है

अगर पानी खतरे के निशान से ऊपर जाएगा तो आसपास के 12 से 13 गांवों को खतरा हो सकता है

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