कोरोना महामारी के कारण पिछले सालों में त्योहारों का रंग फीका रहा

 यही कारण है कि इस बार गणेशोत्सव पर जबदस्त उत्साद देखने को मिला और यही उम्मीद नवरात्र को लेकर भी हो रही है।

इस बीच, गायों में हो रही त्वचा की बीमारी लंपी ने चिंता बढ़ा दी है। ताजा खबर राजस्थान से आ रही है। लंपी बीमारी के कारण दूध का उत्पादन घटा और मिठाइयों के दाम भी बढ़ गए हैं। हालात ऐसे ही रहे तो इस दीवाली पर मिठाई महंगी पड़ सकती है।  इस बीमारी का असर एक दर्जन से अधिक राज्यों में देखने को मिला है।

राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां प्रतिदिन 600-700 मवेशियों की मौत हो रही है। राज्य की सबसे बड़ी दुग्ध सहकारी संस्था जयपुर डेयरी फेडरेशन ने कहा कि दूध संग्रह में 15-18 प्रतिशत की कमी आई है

पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर सतीश के गर्ग ने कहा, “हमने लम्पी में ऐसे लक्षण कभी नहीं देखे हैं. पहली बार, घावों और मुंह के छालों के साथ बुखार देखा जा रहा है. संभावना है कि वायरस में नया परिवर्तन हुआ है. कई प्रयोगशालाएं इस पर शोध कर रही हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मौजूदा स्थिति से चिंतित हैं, क्योंकि पशुपालन राजस्थान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इस रेगिस्तानी राज्य में किसानों की आय का ये मुख्य स्रोत दूध है. सिर्फ एक पखवाड़े में दूसरी बार, सीएम गहलोत ने केंद्र को पत्र लिखकर सरकार से एलएसडी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए कहा है, क्योंकि यह 13 राज्यों में फैल गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में गहलोत ने लम्पी का मुकाबला करने के लिए अतिरिक्त सहायता की जरूरत पर बल दिया है और यह भी कहा है कि एक बार लम्पी के खिलाफ एक टीका तैयार होने के बाद राजस्थान को प्राथमिकता दी जाए.

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