उरई | राजेन्द्र नगर स्थित सिटी लाइफ स्कूल में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की एक काव्य संध्या आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता ज़िले के वरिष्ठ कवि यज्ञदत्त त्रिपाठी ने की | मुख्य अतिथि के रूप में सभा के प्रदेशीय समन्वयक गिरधर खरे और विशिष्ट अतिथि डॉक्टर अमरेंद्र की मौजूदगी , सभा के जनपद संयोजक शफीकुर्रहमान कशफी के संचालन में समीक्षा बैठक के बाद प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम की सरस्वती वंदना और नईम ज़िया की नाते पाक से शुरू हुई काव्य गोष्ठी में गीत ग़ज़ल मुक्तक की बरसात देखने को मिली |

 

इसी दौरान सभा के जिला अध्यक्ष अनुज भदौरिया ने सभा के समन्वयक खरे साहब को शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया | इसके बाद संचालन कर रहे कशफी ने काव्यपाठ के लिए युवा शायर फ़राज़ को बुलाया | उसने पढ़ा-हमें उसूलों से चोट पहुंची है,हमें उसूल हमारे ही खाये बैठे है | इसके बाद इंदु विवेक ने पढ़ा,जो बोझ भरे लगते रिश्ते ऐसे रिश्तों को ढोना क्या | कवियत्री शिवा दीक्षित ने पढा ,सिर पे घूँघट कहें या आँखों पे पर्दा,इतनी मँहगाई में भी चला लेती है घर का खर्चा | प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम प्रिया ने पढ़ा,बोलो अपने बोलों से रस घोलो तुम,खुश किस्मत हूँ मेरी किस्मत में हो तुम,कवि किरपालु ने पढ़ा,सत्ता करे अन्याय जब जनता करे विरोध,क़लम तुझे सौगंध है मत रहना खामोश | शिखा गर्ग ने पढ़ा,प्रेम फाँसी का फंदा भगत सिंह का ,प्रेम झाँसी की रानी की शमशीर है |उस्ताद शायर साक़ी साहब ने पढ़ा,तेरे दिल का मैलापन ऊपर आ गया होगा,क़ब्र तो नहीं करती कोई भी कफ़न मैला | फिर संचालक ने बुलाया गिरधर खरे जी को | उन्होंने पढ़ा, अगर पड़ोसी पर आ जाए कोई मुसीबत भारी,तो न जाने क्यों हमने खुश होना सीख लिया | डॉक्टर अमरेंद्र ने सुनाया,लोग हर बात पर अब तो घृणा फैलाते हैं प्रेम बांटने वाला मैं तो इक परिंदा हूँ | नईम ज़िया ने पढ़ा ,बनाएं किसको अपना रहनुमा हम मिले तो साहिबे किरदार कोई | अनुज भदौरिया ने पढ़ा,तुमसे प्यार किया है हमने अहसासों से सौदा कर के,जिनसे अब तक मैं जिंदा हूँ उन साँसों से सौदा कर के | इसके बाद वरिष्ठ कवियत्री माया सिंह ने पढ़ा-डूबती साँझ की भला तक़दीर क्या होगी,इसकी तक़दीर से न जोड़ो कोई तक़दीरें | जावेद कसीम ने पढ़ा,ये ऐसा होता है आतिशफ्शां से पहले,दरक रहीं हैं ज़मीने चटान से पहले | जनपद के वरिष्ठ गीतकार विनोद गैतम ने पढ़ा,ये जन्म न हो फिर-फिर माया न मुई व्याधे,बोलो कृष्णा कृष्णा बोलो राधे राधे, | अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी जी ने पढ़ा तन की तृष्णा धन की तृष्णा कभी नहीं मरती है,रस विलास से बढ़ती यह संयम से डरती है | ,इसके अलावा विमला तिवारी,राघवेन्द्र कनकने,कशफी,फरीद अली बशर, परवेज़ अख्तर,प्रियंका शर्मा शिरोमणि सोनी ने भी भरपूर काव्यपाठ किया | अंत में संयोजक कशफी , स्कूल प्रबंधक तांचल जी , अध्यक्ष अनुज भदौरिया ने सभी का आभार व्यक्त किया |

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