वर्तमान समय में बहुतायत के रूप में राजसत्ता की विधायिका अथवा संसद प्रतिनिधिरुप में जितने ज्यादा से ज्यादा अपराधी तत्व प्रतिनिधि रुप में पहुंच रहे हैं और देश के बच्चों, नौजवानों प्रौढ़ एवं वृद्धों के भविष्य व कल्याण संबंधी विधानों के निर्माण में मंत्रिमंडल में शामिल होकर मुख्य भूमिका निभा रहे हैं तथा सत्तासीन ऐसे लोग मंत्री स्वरूप में प्रदर्शित हो रहे हैं। जिनका लड़कपन व जवानी का इतिहास चोरी, जेबकटी, बलात्कार , लूटखसोट व पूर्ण रुपेण गुण्डई का रहा है । यह बात आज के अधिकांशतया बुद्धि जीवी एवं जन हितकारी मानसिकता रखने वाले समस्त विद्वानों से छिपी नहीं है । आजादी के बाद देश दिन प्रतिदिन नैतिक पतन, चरित्रहीनता, भ्रष्टाचार , दुराचार , बलात्कार , लूट मर्डर ,असुरक्षा तथा निर्बल दुर्बल कमजोरों का शारीरिक ,मानसिक, दैहिक एवं आर्थिक शोषण मात्र गुण्डई के बल पर समाज के सभ्य लोगों का और सीधे सादे लोगों का हर तरह से बढ़ता चला जा रहा है। कहां पर कब किस समय किसी की भी हत्या कर दी जाये । दिनदहाड़े किसी की भी बहन बेटी उठाकर बलात्कार करके गला घोंट दिया जाये । इन परिस्थितियों के उत्पन्न करने में ऐसे ही प्रवृत्ति सत्तासीन राजनेताओं की ही मुख्य भूमिका अहम रहती है। जो देश के उद्‌घाटन समारोहों में देश के बच्चों को राष्ट्र का भावी कर्णधार कहते नहीं अघाते हैं । उन बच्चों का स्कूल जाते आते समय अपहरण हो रहा है और एक पूर्ण सच्चाई यह भी जानिये की अपहरणकर्ता इन्ही उपरोक्त सत्तासीन राजनेताओं के ही संरक्षण में इनके ही निवास गृहों में शरणस्थली बनाये हुए हैं । तथा फिरौती की धन राशि में इन सत्तासीन राजनेताओं का भी भरपूर शेयर है। बालपन एवं जवानी में अनैतिक कृत्यों में भाग लेते रहने वाले जीवन के दो भाग अपराध और दुराचार में गुजारने वाले  प्रौढ़ावस्था में नेतागिरी करने वाले ये छद्म सत्तासीन राजनेता, राष्ट्र के बेरोजगार नौजवानों , देश के बच्चों को एवं समस्त जनता को उनके यथार्थ कल्याण करने वाले अथवा राहत देने वाले  क्या नियम विधानसभा में या संसद में बनायेंगे । जीवन के दो भागों को अमानवीय दुष्कर्मी में व्यतीत करने वाले अभ्यासी अपने शारीरिक बल पर गुण्डई आंतक व्याप्त करते हुए छल छद्म का सहारा लेकर पुराने सत्तासुख भोगने वाले ऐश परस्त सत्तामोही राजनेताओं जो भोगों को भोगते-भोगते भोग सुखों के गुलाम बनकर अपनी नैतिक दृष्टि गंवा चुके हैं । यथार्थ में तो नैतिकता देखने के लिए उनकी आंखों में धुंध छाती चली जा रही है। ऐन केन प्रकारेण हमारी कुर्सी न छूटे किसी भी तरह हम बने रहें । ऐसे राजनेता उन अपराधी तत्वों से सांठगांठ करते हुए उन्हे संरक्षण दे देते है । और इसीतरह विधानसभा , लोकसभा में प्रवेश करते हुए जमावड़ा करके एकजुट हो कर एक दूसरे का समर्थन करते हुए सत्ता की कुर्सियों पर जमते चले जा रहे हैं। हमारे बुद्धिजीवी जो यथार्थ में सबका व अपना सच्चा कल्याण चाहते हैं। वह बेरोजगार नौजवान बेरोजगारी झेलते हुए प्रौढ़ावस्था की दहलीज पर आ चुके हैं । वे माता पिता , गार्जियन जो स्वयं आधे पेट रहकर अपनी अति आवश्यकताओ , जरूरतों को तिलांजलि देकर अपने बच्चों को इस आशा से पढ़ा रहे हैं कि उनका भविष्य बन जाये। ऐसे आर्थिक गरीब जिनके पास सही रोजगार न होने के कारण प्रतिदिन दिहाड़ी करने वाले शासकीय गुंडई से त्रस्त, दबंगों की गुण्डई से त्रस्त होकर तन ढकने के लिए कपड़ा, पेट भरने के लिए भरपूर भोजन रात दिन मेहनत करने के बाद भी मुहैया नहीं कर पा रहे हैं । ये छली -कपटी -दुराचारी अपराधी तत्व जो राष्ट्र की सत्ता में घुसकर हर तरह से हमें व हम सभी लोगों का शोषण करते हुये धोखा देकर झूठे भाषणों व झूठे आश्वासनों को सभाओं में प्रकट करके जहाँ यथार्थ मेहनतकश ईमानदार लोगों को रोटी, कपड़ा, शिक्षा , सुरक्षा नहीं है वहीं इन सत्तासीन राजनेताओं को कारें , हवाईजहाज , ऐशपरस्ती, सांसारिक समस्त विषयों में भोग्य सामग्री तथा अर्थ का अम्बार एवं इनके मार्ग में रोड़ा बनने या इनकी मानसिकता अथवा अधीनस्था स्वीकार करने वाले व्यक्ति चाहे वह शासकीय कर्मचारी अधिकारी, समाजसेवी अथवा जनता का साधारण व्यक्ति इनको रास्ते से हटाने के लिए  सैकड़ों गुण्डा एवं अच्छे अच्छे हथियार जो एक सेकेण्ड में आदमी के जीवन का अस्तित्व मिटा दें । इन वर्तमान के छद्म महापुरुषों के पास पूर्ण रूपेणु उपलब्ध हैं। सृष्टि में आवश्यक से आवश्यक वस्तु से लगातार अनावश्यक वस्तुओं की भी इनके पास कमी नहीं है हर सामग्री का अम्बार है । हाँ भारत के असंख्य जनों के पास भले ही मात्र तन ढकने को कपड़ा और पेट भरने को रोटी न हो पाती हो । इन्हे कोई चिन्ता नहीं । भाषण की घुट्टी पिला -पिला कर आंखों में धूल झोंकते हुए, प्राणों को हरण करते हुए लाशों पर राजनीति करने वाले स्वयं तो अपने मनोवृत्ति की पुष्टि में परिपूर्ण होकर ऐश कर रहे हैं । खुद हत्या करवा देना बाद में लाश की पूजा करना सम्बन्धित जनों को कुछ आर्थिक योगदान करदेना इनकी अच्छी नीति बन चुकी है। दिन प्रतिदिन असुरक्षा बढ़ती जा रही है। गरीब से गरीब, बड़ा से बड़ा सुबह घर से निकलता है शाम को घर वापस पहुंच जाये इसकी कोई गारन्टी नहीं है । लड़कियां , बच्चे स्कूल से,माताएं बहिनें बाजार से घर वापस पहुंच जाएं इसकी कोई गारंटी नहीं है । कहां मार दिया जाए, कहां अपहरण कर लिया जाए इसके लिए कोई नियम नहीं है ।

वर्तमान में भय,आतंक , गुंडई, असुरक्षा , लूट, डकैती, अपहरण ,बलात्कार मर्डर भरपूर फलते-फूलते चले जा रहे हैं। नौकरियों के नाम पर जगह निकल रही है तो नियुक्ति का माध्यम पैसा है जो मंत्रियों के चमचों , रिश्तेदारों ,उनकी जी हजूरी करने वालों के माध्यम से मंत्रियों तक पहुंच जाता है । पैसा जमा होने के बाद अधिकारियों के पास जो चयन बोर्ड में नियुक्ति प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाते हैं जो लोग मंत्रियों के पास पैसा जमा कर देते हैं उनके कैंडिडेट्स की नामवर सूची उपरोक्त अधिकारियों के पास आ जाती है । साथ में भय आतंक की घुट्टी,कि इन लोगों का होना है इस तरह अधिकारियों व मंत्रियों की साथ साठ -गांठ न हो पाने के कारण चयन प्रक्रिया पर रोक लग जाती है । चयन हो जाने पर आपसी तालमेल न हो पाने के कारण मंत्री अथवा अधिकारी जहां जिसकी ताकत बैठती है वह चयन निरस्त करवा देता है । हमारे जनमानस आये दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि अमुक पद नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है । अमुक पदों के चयन को निरस्त कर दिया है l यह सब उपरोक्त तालमेल न हो पाने की प्रतिक्रिया का स्वरूप है । देश के बेरोजगार नौजवानों, मध्यम व गरीब तथा ईमानदार सक्षम संपन्न जानों , ईमानदार नैतिकतावादी शासकीय कर्मचारियों ,अधिकारियों , बुद्धिजीवियों , विद्वानों जागो ? यदि वास्तव में जो तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है रोजगार, रोटी, कपड़ा , गृह, शिक्षा,सुरक्षा, संरक्षा उसे तुम्हें मिलना ही चाहिये जिसे तुम ऐसी परिस्थिति, व्यवस्था में बेईमान, चरित्रहीन, दुराचारी, अनैतिकतावादी ,भ्रष्टाचारी , अन्यायी अपराधियों को जिन्हें सांसारिक अनैतिक भोगों की गुलामी ने जकड़ रखाहै जिनका उपभोग उनके जीवन की अंतिम परिणिति बन चुकी है । जो झूठा आश्वासन का पाठ पढ़ाने वाले तोते के समान रट कर ताजीवन व्यक्त करते रहते हैं । उनसे तुम लोग कभी भी अपना अधिकार इस जन्म में क्या कई जन्मों में भी नहीं पा सकते हो । अगर वास्तव में इसी जन्म में अपना जन्म जीवन तथा बच्चों का भविष्य एवं वृद्धो की सेवा अर्थात माता-पिता का दायित्व व बहन बेटियों का विवाह इन दायित्वों को अपने बल पर, नैतिक स्वरूप के बल पर चल के पूरा करना है तो जागो ? और उसी भांति जो कुछ दिन पूर्व बीते दिनों में नागपुर (महाराष्ट्र) में एक दुराचारी हत्यारे गुंडे आतंक का राज कायम करने वाले व्यक्ति को अदालत में जाकर न्यायाधीश एवं तमाम जनों के सामने हमारी ही माताओं बहिनों ने सामूहिक रूप से चाकुओं से गोदकर यमधाम पहुंचा दिया दूसरी घटना भी उसी नागपुर की है । गरीबों की बस्ती में दुराचारी गुंडे अपना आतंक कायम करके आए दिन कभी भी किसी की भी किसी भी समय किसी की बहिन बेटी जो सुंदर जवान देखी उठा कर ले जाते थे । दो चार सौ महिलाओं ने संगठित हो कर जब एक दिन इसी तरह की प्रक्रिया करने नामी छोटी स्तर का गुंडा आया बस्ती में घुसते ही सभी ने उसका अंत कर दिया । हमारे शास्त्रों में हमारे देवी देवताओं , संत महापुरुषों , बड़े-बड़े पैगंबरों ने सदैव अन्याय अत्याचार का विरोध किया है । संघर्ष किया है । शक्तिवानों ने आतताइयों का विनाश किया । बलिदानियों ने जीवन की आहुतियां न्याय पूर्ण व्यवस्था को कायम रखने के लिए सत्य ईमान स्वरूप खुदा / ईश्वर को भेंट की है । इतिहास इसका पूर्ण रुपेणु साक्षी है । प्रिय भारत के समस्त जनमानस यह नश्वर जीवन तो कभी भी किसी भी क्षण किसी भी अप्रत्याशित घटना का शिकार होकर नष्ट हो सकता है । उठो जागो और ऐसी अन्य अत्याचारी व्यवस्था को निर्भीक निर्मोही होकर पलट दो । अन्याय , असत्य, अत्याचार , भ्रष्टाचार का पूर्ण रूपेण प्रतिकार करो l उसी तरह , जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है – उठो पार्थ कायरता कापुरुषता को दूर करते हुए संघर्ष करो । संघर्ष में अगर वीरगति को प्राप्त हुए तो  क्षत्रिय (धर्म) का पूर्ण पालन होगा । क्योंकि तुम धर्म युक्त मार्ग,सत्य की रक्षा एवं असत्य के विनाश के लिए युद्ध कर्ता हो और यही कर्तव्य तेरे लिए परम श्रेष्ठ है । अगर जीवित रहा तो सत्य पूर्ण ढंग से अपना अधिकार प्राप्त करके राजधर्म का पालन करते हुए जन मानस की सेवा करता हुआ वसुन्धरा द्वारा प्रदत्त पदार्थो का यथार्थ उपभोग करेगा इसी तरह मोहम्मद साहब का भी यही फरमान है – ईमान धारण करो,अन्याय -अत्याचार , झूठ -फरेब को, धोखा दगा को समाप्त करने में संघर्ष करो । यही गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन समर्पित करने का उद्देश्य रहा I यही ईसा, मूसा ,सुकरात सभी का सिद्धान्त रहा सभी का फरमान रहा  है । प्रिय बंधुओ भाइयों माता बहिनों बेटियों कायरता का पूर्ण परित्याग करते हुए , नश्वर जीवन का पूर्ण मोह छोड़ते हुए , परिवार बच्चों का पूर्ण मोह छोड़ते हुए हर तरह से । अगर मताधिकार के प्रयोग का समय आए तो अच्छे सत्यवादी लोगों को पहुंचाने में सहयोग करो । गुंडाराज , आतंक राज कायम करने वाले दुराचारी भ्रष्टाचारियों से मानसिक अथवा शारीरिक संघर्ष करने का समय आए हर तरह से युद्ध स्तर तक जाने में पूर्ण निर्भीकता, निर्मोहता का पूर्ण परिचय दो । किसी भी अन्याय अत्याचार को जीवित रहते हुए सहन मत करो । किसी भी बहन बेटी की इज्जत रक्षा समय में मौजूद हो चाहे प्राण रहे अथवा ना रहे धर्म युक्त युद्ध पूर्ण तया करो अगर इस परिचय में सफल हो गए तो सिद्धि आपके कदम चूमेगी । सत्यवादी राज्य में सुख शांतिमय जीवन हमारे बच्चों का भविष्य सभी कुछ होगा । ऐसी अन्यायीय अत्याचारीय असत्य वादी व्यवस्था में बर्बाद रहने ,भूखों मरने ,कभी किसी जगह मर जाने , अशांत रहने से तो मरना श्रेष्ठ है । उठो उपरोक्त महापुरुषों की भांति यथार्थ जीवन का वरण करो । सत्य के साम्राज्य के स्थापना होने पर बच्चे सुखी होंगे उनका भविष्य उज्जवल होगा ,आप भी सुखी व शांत होंगे | अपने कर्तव्य व दायित्वीय धर्मका यथार्थ पालन करेंगे | आपके द्वारा सत्कर्मों एवं सत्य साम्राज्य स्थापना में सहयोगात्मक भूमिका के निर्वाह से यह जन्म जीवन तो सफल होगा ही तथा आगामी खुदा /  भगवान के यहां जाने पर भी स्वागत होगा ।

स्वामी विवेकानंद जी ने सही कहा है “उठो जागो रुको मत जब तक लक्ष्य में सफल न हो जाओ । ”

क्या मिलिए, क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे , नकली चेहेरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ।

खुद से ही जो खुद को छुपायें क्या उनसे पहचान करें, क्या उनके दामन से लिपटें , क्या उनका अरमान करें ।

जिनकी आधी नीयत उभरे आधी नीयत छुपी रहे , नकली चेहेरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ।

दिलदारी का ढोंग रचाकर जाल बिछाए बातों का,जीतेजी का रिश्ता कहकर सुख ढूंढे कुछ रातों का ।

रूह की हसरत लब पर आये जिस्म की हसरत छुपी रहे ,नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ।

जिनके जुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती हर गाँव में , दया धर्म की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में ।

दान का चर्चा घर-घर पहुंचे लूट की दौलत छुपी रहे नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ।

देखें इन नकली चेहरों की कब तक जय जयकार चले उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले ।

कब तक लोगो की नजरों से छुपी हकीकत छुपी रहे नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे ।

क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे ,नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छुपी रहे । ।

  अतिपाप :- न्यायाधीश पद पर बैठे सद्जन यदिभय से , डरसे , धनसम्पत्ति या अन्य कोई लोभ लालसाओं की इच्छा आकांक्षाओं से असत्य न्याय , अन्याय पूर्ण न्याय , एवं व्यक्तिगत रागद्वेषों से प्रभावित होकर किसीभी दूसरे के प्रति गलत , असत्य न्याय देते हैं , करते हैं। तो 3नसे बड़ा दोषी कोई नहीं है । यह अति वृहद् पाप है।

– डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

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