आपदा में जनसेवक का अभूतपूर्व समर्पण गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत ने रात-दिन एक कर किसानों का दर्द बांटा
बे-मौसम बारिश ने एक बार फिर हमारे अन्नदाताओं की वर्षों की मेहनत पर वज्रपात किया है। झांसी जनपद के पूंछ क्षेत्र के ग्राम अमगांव सहित आसपास के गांवों में धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। खेतों में पानी भर गया है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। किसानों का यह दर्द देखकर गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत स्वयं उनके बीच पहुंचे और एक सच्चे जनसेवक की भूमिका निभाई।
विधायक जवाहर लाल राजपूत ने केवल कागजों पर समीक्षा करने तक सीमित न रहकर, रात-दिन एक करके खेतों की पगडंडियों पर चलकर किसानों की फसलों की वास्तविक स्थिति देखी। उन्होंने खेतों में गिरी धान की बालियों को देखा और किसानों से सीधे संवाद किया। उनका यह प्रयास यह दर्शाता है कि वे किसानों के दुःख-दर्द को केवल सुनते नहीं, बल्कि महसूस भी करते हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों की इस क्षति की भरपाई के लिए शासन-प्रशासन से कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने राजस्व विभाग और कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए कि नुकसान का पारदर्शी आकलन किया जाए और प्रभावित किसानों को शीघ्र मुआवजा उपलब्ध कराया जाए।
विधायक ने यह भी सुनिश्चित किया कि जिन किसानों की फसलें बीमित हैं, उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पूरा और समय पर लाभ मिले। उन्होंने प्रशासन से कहा कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी या देरी न हो।
विधायक जवाहरलाल राजपूत ने कहा —
यह समय किसानों के साथ खड़े होने का है। संकट की इस घड़ी में कोई किसान अकेला नहीं रहेगा। शासन और प्रशासन पूरी तरह उनके साथ है।”
क्षेत्र के किसानों ने विधायक के इस कदम की सराहना की और कहा कि विधायक ने वास्तव में जनसेवक होने का प्रमाण दिया है। उनका यह मानवीय व्यवहार और त्वरित सहयोग किसानों के मनोबल को बढ़ाने वाला है।
विधायक के इस दौरे ने न केवल किसानों को भरोसा दिलाया, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी राहत कार्यों की गति तेज कर दी। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को खेत-खेत जाकर सर्वे करने के निर्देश दिए और हर किसान तक सहायता पहुँचाने का आश्वासन दिया।
इस प्रकार, गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत का यह समर्पण एक मिसाल बन गया है —
जहाँ आज भी कई नेता आपदा में दूर रहते हैं, वहीं उन्होंने खुद खेतों में उतरकर यह साबित किया कि एक सच्चा जनप्रतिनिधि वही है जो जनता के सुख-दुख में बराबर साथ खड़ा हो।
समंवाददाता पंडित विवेक तिवारी




