उरई-गल्ला मंडी में चल रहे यज्ञ में आज श्री श्री 1008 धीरेन्द्राचार्य जी महाराज (चित्रकूट) ने प्रवचन में गिद्धराज जटायु की वीरता के बारे में बताया| और मित्रता के बारे में भी श्रोताओं को बताया की आज की मित्रता पान की दुकान से शुरू होती है और जब तक मुह में पान रहता है तब तक स्वार्थ रूप से मित्रता चलती है | महाराज जी बताया की मित्रता में स्वार्थ नही होना चाहिए|

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