सात माह के बच्चे के पेट में पल रहे बच्चे (भ्रूण) का मामला

अपवाद स्वरूप सामने आया सात माह के बच्चे के पेट में पल रहे बच्चे (भ्रूण) का मामला

■ऑपरेशन के बाद बच्चे को किया सुरक्षित।

प्रसव के 9 दिन बाद ही मां की मौत हो गई।

एक ऐसा मामला जिस पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन सत्य है कि सात माह के बच्चे के पेट में पल रहे बच्चे (भ्रूण) को चिल्ड्रेन अस्पताल के चिकित्सकों ने बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की है है

लगभग चार घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद बच्चे के पेट से करीब दो किलो का भ्रूण को बाहर निकाला गया।

बच्चा भी पूरी तरह से सुरक्षित है।

फिलहाल उसे अस्पताल के पीकू वार्ड में रखा गया है।

डॉक्टरों के मुताबिक मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के भीतर दूसरा भ्रूण तैयार होने के ऐसे मामले अपवाद स्वरूप सामने आते हैं।

ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ. डी. कुमार बताते हैं कि शुक्राणु और अंडाणु मिलकर दो जाइगोट बनने से ऐसी परिस्थिति बनती है।

पहले जाइगोट से बच्चा बनता है और दूसरा बच्चे के पेट में चला जाता है। पेट में यह भ्रूण ट्यूमर की तरह बढ़ने लगता है।

इस स्थिति को ही फीटस इन फीटू कहते हैं। लेकिन दूसरा जाइगोट बच्चे के शरीर से बाहर यानी मां के पेट में बनता-पलता है तो वह जुड़वां बच्चे का रूप मे बदल जाता है।

वही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कृतिका अग्रवाल ने कहा कि सात महीने पहले बच्चे की मां का प्रसव स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में हुआ था।

•पैदा होते ही बच्चे के पेट में सूजन था. •धीरे-धीरे यह सूजन और पेट का वजन बढ़ता गया।

बाद में जांच करने यह मामला निकल कर सामने आया।

खास बात यह है कि प्रसव के 9 दिन बाद ही मां की मौत हो गई।

Share.