• कृष्ण जन्माष्टमीजय श्री कृष्णा,श्रृंगार की तैयारी भी शुरू करें 

जन्माष्टमी इस बार 18 अगस्त को मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है. कहीं शालिग्राम के रूप में तो कहीं लड्डू गोपाल के रूप में उनकी पूजा की जाती है.

》 आइए जानते हैं जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की कैसी मूर्ति घर लानी चाहिए

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. भगवान कृष्ण का प्राकट्य रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस अवसर पर उनके अलग-अलग स्वरूपों की स्थापना की जाती है. कहीं शालिग्राम के रूप में तो कहीं लड्डू गोपाल के रूप में उनकी पूजा की जाती है.

इस दिन व्रत और उपवास रखकर श्रीकृष्ण से विशेष प्रार्थना की जाती है. इस बार जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति देखी जा रही है.

कब है जन्माष्टमी? (Janmashtami 2022 Kab Hai)
इस बार जन्माष्टमी की दो तारीखें बताई जा रही हैं, 18 अगस्त और 19 अगस्त.

☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 09 बजकर 20 मिनट से लेकर 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी.

■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■जन्माष्टमी में चंद्रोदय व्यापिनी तिथि ली जाती है. 18 अगस्त को चंद्रोदय व्यापिनी तिथि अष्टमी होगी. इसलिए तिथि और चन्द्रमा के आधार पर 18 अगस्त की मध्यरात्रि में जन्माष्टमी मनाना ज्यादा उचित है. हालांकि, वैष्णव परंपरा के लोग 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मना सकते हैं.

जन्माष्टमी पर कान्हा की कैसी मूर्ति घर लाएं? 
आमतौर पर जन्माष्टमी के दिन बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है. लेकिन आप अपनी मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं. जन्माष्टमी पर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए कान्हा की अलग-अलग प्रतिमाओं की भी उपासना की जाती है. प्रेम और दाम्पत्य जीवन में सुख के लिए राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और

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सामान्य जीवन में सुख-शांति के लिए बंसी वाले कृष्ण की स्थापना करें.

होगा श्रीकृष्ण का श्रृंगार?
श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें. उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. चन्दन की सुगंध से उनका श्रृंगार करें. इस दौरान काले रंग की चीजों का प्रयोग बिल्कुल न करें. वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित करें तो ये बहुत अच्छा होगा.

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का प्रसाद?
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत जरूर अर्पित करें. उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें. मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं. कहीं-कहीं, धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है. पूर्ण सात्विक भोजन जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक,

कंस चंद्रवंशी यादव राजा था. उसकी एक बहन थी जिसका नाम देवकी थी. कंस ने देवकी का विवाह वासुदेव से करवाया. कंस का जन्म चंद्रवंशी क्षत्रिय यादव राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती के यहां हुआ था. कंस ने अपने पिता को अपदस्थ किया और मथुरा के राजा के रूप में खुद को स्थापित किया लेकिन उसे अपनी बहन देवकी से बहुत स्नेह था. देवकी की शादी के बाद यह आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. यह आकाशवाणी सुनकर कंस काफी डर गया और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया. इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव की 7 संतानों को मार डाला. इसके बाद देवकी आठवीं बार मां बनने वाली थी. देवकी की आठवीं संतान के जन्म के वक्त आसमान में बिजली कड़कने लगी और कारागार के सभी ताले अपने आप टूट गए.

मान्यता के मुताबिक,उस समय रात के 12 बजे थे और सभी सैनिक गहनी नींद मे थे. उसी समय भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने देवकी और वासुदेव को बताया कि वह देवकी की गोद से जन्म लेंगे. साथ ही उन्होंने देवकी और वासुदेव को यह भी बताया कि वह जन्म के बाद उनके अवतार को गोकुल में नंद बाबा के पास छोड़ आएं और उनके घर में जन्मी कन्या को कंस को सौंप दें. भगवान श्री कृष्ण के कहे अनुसार वासुदेव ने वैसा ही किया. नंद और यशोदा ने मिलकर श्री कृष्ण को पाला और बाद में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया.

 

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