बुंदेलखंड में समावेशी जलवायु प्रणाली और गुलाब की खेती का प्रभाव पर चर्चा कृषि जानकारों से

■ बुंदेलखंड गुलाब उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन सकता है अगर सही तकनीकों का करे प्रयोग कहां कृषि विशेषज्ञ ने

रिपोँट : विनय पचौरी 

आज आज कृषि मेला व प्रदर्शनी के दौरान कृषि जानकारी से चर्चा हुई और उन्होंने हॉर्टिकल्चर कृषि प्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी की कैसे कम लागत में किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है नई तकनीक को अपनाकर जाने विस्तार से साथ ही कुछ प्रश्नों प्रश्नों पर भी चर्चा हुई

1. समावेशी जलवायु प्रणाली का बुंदेलखंड पर प्रभाव

बुंदेलखंड क्षेत्र अपनी शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है, जहाँ जल संकट एक प्रमुख समस्या है। समावेशी जलवायु प्रणाली (Inclusive Climate System) का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना होता है।

समावेशी जलवायु प्रणाली के तत्व:
  1. वर्षा जल संचयन: तालाबों, चेक डैम और खेत तालाबों के माध्यम से जल संरक्षण।
  2. मृदा संरक्षण: जैविक खेती और मल्चिंग तकनीक का उपयोग।
  3. सूक्ष्म सिंचाई तकनीक: ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को अपनाना।
  4. जलवायु अनुकूल फसलों का चयन: कम पानी वाली और उच्च उत्पादकता वाली फसलें लगाना।

  5. जैव विविधता संरक्षण: विभिन्न फसलों और औषधीय पौधों को बढ़ावा देना।

इन उपायों से बुंदेलखंड में जल उपलब्धता बढ़ेगी और कृषि अधिक लाभदायक होगी।

2. गुलाब की खेती से बुंदेलखंड को होने वाले लाभ

गुलाब की खेती बुंदेलखंड में समावेशी जलवायु प्रणाली के तहत एक लाभदायक विकल्प बन सकती है। यह क्षेत्र अपनी मिट्टी की बनावट और जलवायु के कारण गुलाब उत्पादन के लिए उपयुक्त है, बशर्ते कि जल प्रबंधन और आधुनिक खेती तकनीकों को अपनाया जाए।

कृषि विशेषज्ञ ने बताया गुलाब की खेती से मिलने वाले लाभ:

  1. आर्थिक सशक्तिकरण: गुलाब की खेती से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा मिल सकता है। गुलाब के फूल, गुलकंद, इत्र, गुलाब जल और तेल का बाजार में भारी मांग है।
  2. न्यूनतम जल खपत: आधुनिक ड्रिप सिंचाई तकनीक से गुलाब की खेती को जल की कमी वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
  3. रोजगार के अवसर: गुलाब उत्पादन, प्रोसेसिंग (गुलकंद, गुलाब जल, इत्र निर्माण) और मार्केटिंग में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।
  4. निर्यात और व्यापार: बुंदेलखंड में गुलाब की खेती से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात के अवसर बढ़ेंगे।
  5. पर्यावरणीय लाभ: गुलाब की खेती मृदा को उपजाऊ बनाए रखने में मदद करती है और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
  6. मधुमक्खी पालन को बढ़ावा: गुलाब के फूलों से परागण को बढ़ावा मिलता है, जिससे मधुमक्खी पालन उद्योग भी फले-फूलेगा।

आगे उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड में गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है ।जैसे कि 

  1. सिंचाई सुविधाओं का विकास: जल संरक्षण तकनीकों और ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना।
  2. प्रशिक्षण और जागरूकता: किसानों को जैविक गुलाब की खेती, प्रोसेसिंग और विपणन के लिए प्रशिक्षित करना।
  3. संकर (हाइब्रिड) गुलाब की प्रजातियों का उपयोग: बुंदेलखंड की जलवायु के अनुकूल गुलाब की नई किस्मों को विकसित और अपनाना।
  4. सरकारी और गैर-सरकारी सहयोग: सरकारी योजनाओं और कृषि संगठनों के सहयोग से गुलाब की खेती को बढ़ावा देना।
  5. सहकारी समितियों का गठन: किसानों के लिए गुलाब उत्पादों की प्रोसेसिंग और बिक्री के लिए सहकारी समितियाँ बनाना।

कृषि विशेषज्ञों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते है बुंदेलखंड में समावेशी जलवायु प्रणाली को अपनाकर गुलाब की खेती को एक लाभदायक व्यवसाय में बदला जा सकता है।

इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, जल संकट का समाधान होगा, और क्षेत्र में आर्थिक व पर्यावरणीय संतुलन स्थापित होगा।

अगर सही तकनीकों और सरकारी सहयोग से इसे लागू किया जाए, तो बुंदेलखंड गुलाब उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।

 

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