पूज्य आचार्य विमर्श सागर जी को गुरुदेव की सहज निर्मल साधना से प्रभाविता हो यक्ष -यक्षिणियो द्वारा आचार्य श्री की महा पूजा की गई थी और गुरुदेव को यश्र्क्षो द्वारा नाम दिया गया अहार जी के छोटे बाबा शांति प्रभु के लघुनंदन वर्तमान के भाव लिंगी संत आदि आदि आचार्य श्री कहते हैं कि 25 दिसम्बर 2015 का दिन में कभी भूल नहीं सकता जब दोपहर सामायिक हेतु चतुर्दिक कायोत्सर्ग कर में बैठक में ही वाला था कि 15 दिन से अत्यंत अस्वस्थ आंचल दीदी को संघस्थ दीदीयां व्हील चेयर से आशीर्वाद हेतु लाई पैरालाइसिस जैसी शिकायत होने से पैर हाथ में से तो अस्मर्थता थी आज आंखों से देखना एवं कानों से सुनना भी बंद हो गया था अत्यंत दयनीय हालत में दीदी को देखकर ह्रदय करुणा से द्रवित हो उठा मन ही मन भगवान शांतिनाथ का स्मरण करते हुए बोला हे नाथ 22 वर्षीय असाध्य रोग से पीड़ित आंचल दीदी की अवस्था आंखों से देखी नहीं जाती प्रसिद्ध डॉक्टर भी स्पष्ट मना कर चुके हैं कि दीदी अब कभी स्वस्थ नहीं हो सकती हमारे मेडिकल साइंस में यह प्रथम केस है कि दीदी के रिपोर्ट नॉर्मल हैं और अवस्थ्यता बढ़ती जा रही है
हे प्रभू अब तो एकमात्र आपकी भक्ति ही शरण है सच्चा भक्त आपकी भक्ति के फल से जब पूर्ण निरामय अवस्था को प्राप्त कर सकता है तो इस रोग से मुक्ति क्यों नहीं मिलेगी मैं अत्यंत कहां से भरा हुआ आंचल दीदी से बोला बेटा मैं तुम्हें शांति भक्ति सुना रहा हूं मेरी आज की यही सामायिक है मैं भगवान शांतिनाथ जी को एक ह्रदयकमल पर विराजमान करके आचार्य भगवन पूज्य पाद स्वामी का भर्ती से स्मरण कर पूज्य आचार्य गुरुदेव विराग सागर जी का आशीष अनुभव कर अत्यंत तन्मयता के साथ शांति भक्ति का उच्चारण करने लगा अपूर्व विशुद्धि अनुभव हो रही थी रोम-रोम भक्ति रस में सरोकार था तभी अचानक आंचल दीदी की आंखों में नेत्र ज्योति आ गई कानों से स्पष्ट सुनाई देने लगा मुख का टेढ़ापन दूर हो गया और निश्चल हाथ की उंगलियां स्वयं खुल गई हाथ की सहज चलने लगा कमरे में जितने लोग थे सभी जय-जयकार करने लगे शांति भक्ति का अतिशय देख सभी रोमांचित हो गए
आज गुरसरांय नगर में
इस पावन अवसर पर विशाल जिनागम पंथी भक्त समूह को 1008 शांतिनाथ भगवान और श्री शांति भक्ति का माहात्म्य बताते संसारी जीव एक व्यापारी की तरह है जो नित्य शुभ और अशुभ कर्म का संचय करता है उनका फल भोगता है अशुभ कर्म का फल दुख है सुबह कर्म का फल सुख मोक्ष मार्ग शुभाशुभ कर्म से युक्त अतीन्द्रिय सुखा का साधन है सिद्धि दिवस के आयोजन पर अभिषेक शांतिधारा एवं शान्ति भक्ति सिद्धी विधान पूजन करने का सौभाग्य मिला सभी महिला पुरुष बच्चे भक्ति के रस में मगन होकर झूम झूम कर नृत्य गायन करके भगवान की आराधना करते नजर आये आज की शांतिधारा का सौभाग्य अजित कुमार जैन खिसनी व सिंघई विजय कुमार जैन एवं प्रथम अभिषेक विनोद कुमार सुनील कुमार जैन करगुंवा वालों को प्राप्त हुआ मंडप पर मंगल कलश स्थापना करने का सौभाग्य सोनल जैन घुरईया, साधना सिंघई ,अल्का जैन अ अरिहंत मेडिकल, आभा सिंघई सुमन सिंघई एवं मंगल दीप की स्थापना ऋषभ कुमार जैन मंडी सचिव के द्वारा किया गया
इस मौके पर जतारा, गवालियर, टीकमगढ़, मऊरानीपुर से पधारे हुए सभी धर्म प्रेमी भक्तों ने विधान में सम्मिलित होकर अपने पूण्योपार्जन कर धर्म प्रभावना में सहयोगी बने
अपने अपने कर्मों की निर्जरा की
इस मौके पर प्रकाश चंद्र जैन नुनार, सुनील जैन डीकु, दीपक जैन नुनार, गुलाब चंद जैन ठेकेदार, राजू जैन सुट्टा, प्रेमचंद, मनोज समैया, नरेंद्र सिंघई, दीपक जैन, छोटे सिंघई, नरेंद्र पोद्दार, चक्रेश जैन, मिलाप जैन, प्रिंस जैन, शिखर चंद जैन, धन्य कुमार जैन, विजय कुमार जैन, जयकुमार जैन, अभिनंदन जैन, महेंद्र कुमार जैन, अभय जैन, अजय जैन, शुभम जैन अकोढी़, संजीव जैन अकोढी़, संगीता जैन, मंजू जैन, आभा जैन, सपना जैन, प्रीति जैन, अंजू जैन, प्रगति जैन, अल्का जैन, चेतना जैन, प्रज्ञा जैन, परी जैन नुनार, सेजल जैन नुनार समस्त दिगंबर जैन समाज ने आचार्य श्री के मुखारविंद से भक्ति का रसपान ग्रहण किया।
रिपोर्ट – आयुष त्रिपाठी