रेलवे की उत्पादन इकाइयां इस वित्त वर्ष के पहले 4 महीने में डिब्बों, पहियों, इंजन और अन्य वस्तुओं के तय समयसीमा में निर्माण लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रही हैं। वहीं, अधिकारियों ने इसके लिए यूक्रेन संकट

की वजह से उत्पादन श्रृंखला बाधित होने को जिम्मेदार ठहराया है। रेलवे उत्पादन इकाइयों के नवीनतम प्रदर्शन समीक्षा संबंधी दस्तावेजों की जानकारी मिली है जिसके मुताबिक इस वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीने में रेलवे के इन आवश्यक घटकों का निर्माण लक्ष्य से कम रहा। कारखानों के महा प्रबंधकों के साथ रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी.के.त्रिपाठी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक हुई जिसमें 25 जुलाई तक निर्माण में कमी की जानकारी दी गई। उदाहरण के लिए ईएमयू/मेमू ट्रेन के लिए इस अवधि में महज 53 डिब्बों का निर्माण हुआ जबकि लक्ष्य 730 डिब्बों के निर्माण का था। इनमें से 28 डिब्बों का निर्माण कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) में, 14 डिब्बे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में और 11 डिब्बे रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी(एमसीएफ) में बने। गौरतलब है कि मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) और ईएमयू ट्रेनों का संचालन छोटी दूरी के मार्गों पर होता है जो शहरी इलाकों को उप नगरीय इलाकों से जोड़ते हैं। बैठक में मेमू या ईएमयू इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, 60केवीए ट्रांसफॉरमर और स्वीच कैबिनेट की आपूर्ति में भी कमी पर चिंता जताई गई। महा प्रबंधकों से अपील की गई कि इन ‘‘मुद्दों का तत्काल समाधान ”किया जाए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि ‘‘निर्माण में कोई कमी नहीं आए।” रेलवे ने कहा कि मेमू और ईएमयू डिब्बों के उत्पादन में कमी विशेष तौर पर ‘‘इलेक्ट्रिक” (इलेक्ट्रिक पुर्जों) की आपूर्ति में कमी की वजह से हुई है।

दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘यह रेखांकित किया गया कि आपूर्ति प्रतिबद्धता पूरी नहीं करने वाली कंपनियों को भी नए सिरे से ठेके दिए जा रहे हैं और आपूर्ति की अवधि बहुत अधिक दी जा रही है।” दस्तावेज के मुताबिक रेलवे व्हील फैक्टरी अनुपातिक लक्ष्य (पूरे साल के लक्ष्य के अनुपात में उक्त अवधि का लक्ष्य) से 21.96 प्रतिशत और रेल व्हील प्लांट, बेला 64.4 प्रतिशत पीछे है। दस्तावेज में उल्लेख किया गया है कि जुलाई तक रेल इंजन उत्पादन तय लक्ष्य से 28 प्रतिशत कम रहा।

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