सार्वजनिक व्यवस्थाओं के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी

 

उरई विकास प्राधिकरण द्वारा स्थापित कराए गए वाटर कूलर दुर्दशा का शिकार

 

भीषण गर्मी और तपन में प्यास से बेहाल राहगीरों के लिए छलावा

उरई(जालौन). सार्वजनिक व्यवस्थाओं के नाम पर खर्च किए जाने वाले सरकारी धन की बर्बादी किस हद तक हो सकती है इसकी बानगी नगर के सार्वजनिक स्थानों पर संचालित कराए गए वाटर कूलर स्पष्ट रूप से दे रहे हैं बीते कुछ ही वर्षों के दौरान अधिकांश स्थानों पर स्थापित वाटर कूलरो की मौजूदा स्थिति यह है कि कहीं वह जर्जर अवस्था में ठप पड़े हैं तो कहीं उन्हें अतिक्रमण का भी शिकार होना पड़ा फिलहाल जो भी हो लेकिन जिस तरह से और जिस मनसा से उरई विकास प्राधिकरण द्वारा नगर के मुख्य स्थान पर वाटर कूलर स्थापित कराए गए थे वह तो पूरी होती नहीं दिख रही बल्कि सरकारी धन की बर्बादी का उदाहरण जरूर प्रस्तुत कर रही है। अब यह भी काम विडंबना की बात नहीं की भीषण गर्मी और तपन के दौरान वहां से गुजरने वाले राहगीर प्यास से बेहाल अवस्था में जब इन वॉटर कूलरों पर दूर से नजर डालते हैं और प्यास बुझाने की उम्मीद में जैसे ही उनके पास पहुंचते हैं तो उनके हाथ निराशा ही लगती है।

 

बीते कुछ बरसों पूर्व नगर के कई सार्वजनिक स्थानों पर उरई विकास प्राधिकरण द्वारा आम जनमानस को गर्मी के दौरान ठंडा पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई स्थानों पर वाटर कूलर स्थापित कराए गए लेकिन हैरत की बात है कि जिन-जिन स्थानों पर वाटर कूलर स्थापित कराए गए वह साल 2 साल बाद ही दुर्दाशा का शिकार हो गए और मौजूदा स्थिति यह है कि अधिकांश जगह वाटर कूलर अपनी सार्थकता से महरूम बने हुए हैं कोच बस स्टैंड स्थित वाटर कूलर की दुर्दशा इस कदर है कि वहां आसपास के रेडी दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई बात यहां क्षेत्राधिकार पुलिस कार्यालय के ठीक बगल से स्थापित वाटर कूलर की करें तो यह भी बीते लंबे समय से ठप पड़ा हुआ है बताते चलें कि इन दोनों ही स्थान पर आने-जाने वाले लोगों की तादाद सर्वाधिक रहती है गर्मियों के दिनों में तो यह स्थिति देखने को मिलती है कि यहां से गुजरने वाले राहगीरों को पीने का पानी उपलब्ध न होने के चलते प्यार से बेहाल भटकते हुए देखा जाता है कमोबेश यही स्थिति जिला परिषद तिराहे समीप स्थित वाटर कूलर की भी है जो बीते कई वर्षों से अपेक्षा और दुर्दशा की कहानी बयां कर रहा है फिलहाल जो भी हो लेकिन जिस तरह से उरई विकास प्राधिकरण द्वारा स्थापित कराए गए वाटर कूलर अपनी सार्थकता से महरूम है उसको देखते हुए आम जनमानस में सरकारी धन की बर्बादी और जिम्मेदारों की अनदेखी को लेकर सवाल उठना लाजिमी ही है।

 

आखिर क्यों नहीं जिम्मेदारों को दिखाई देती दुर्दशाग्रस्त व्यवस्थाएं?

 

उरई -आम जनमानस की सुविधाओं को लेकर जहां एक और शासन और प्रशासन स्तर से लाखों करोड़ों रुपए व्यय किया जाता है तो वहीं दूसरी और उन व्यवस्थाओं की कितनी क्या सार्थकता लोगों तक पहुंच रही है इस बात को लेकर जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं गौर करते यह बात आम और खास सभी प्रबुद्ध जनों को सोचने के लिए विवश कर देती है रविवार को जिला परिषद समीप स्थित वाटर कूलर पर अपनी प्यास बुझाने की उम्मीद से आई एक वृद्ध महिला की नाराजगी उसे वक्त साफ तौर पर दिखलाई दी जब उसे पता चला कि यहां पीने की एक बूंद भी नहीं है कमोबेश ऐसी स्थितियां प्राय एस गांव से आने वाले राहगीरों की देखने को मिलती हैं जब वह निराश होकर लोटते है।

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