ये अश्लील वीडियो व पोर्न साइटें भारतीय संस्कृति के सम्पूर्णतया विपरीत हैं । आदर्श , मर्यादा , कल्चर ब भारतीय सभ्यता संस्कृति पर पूर्णतया कुठाराघात है । आज भारत में गांव – गांव , नगर – नगर , राज्यों की राजधानियों में सब जगह नित्य प्रति व्याभिचार , बलात्कर , गैंगरेप , हत्या , मर्डर से दाम्पत्य जीवन अति प्रभावित हो रहे हैं। चारित्रिक जीवन में अति गिरावट आ रही है। विवाह जैसी आदर्श मर्यादित पूर्ण परम सत्य ताजीवन स्नेहिल पारस्परिक पतिपत्नी का रिश्ता आज तार तार हो रहा है। लूट हत्या पैसे का लालच मात्र ऐसी अतिअति घटिया स्तर का एक दूसरे की जान लेने का व दो के बीच में तीसरे का हस्ताक्षेप पति पत्नी दोनों की दूषित मनोवृत्ति का रुप रंग लेकर पारस्परिक जान व जीवन लेना , खोना स्वयंहीएक दूसरे के साथ विश्वासघाती कदम उठ रहा है। जो आज इतना नैतिक पतन स्वरूपीय चारित्रिक गिरावटकी ओर निरंतर बढ़ता जा रहा है। कहीं आत्महत्या कहीं पत्नी द्वारा एक दूसरे के बीच तीसरे का प्रवेश नैतिक पतन की चारित्रिक पतन की पराकाष्ठा लांघ रहा है। तो कहीं पत्नी उसका प्रेमी पति की हत्या मर्डर कर रहे, करा रहे तो कहीं पत्नी की हत्या , मर्डर दोनो के बीच किसी तीसरे के आ जाने पर पति द्वारा की जा रही अथवा कराई जा रही है। ये अनाचारीय, व्याभिचारीय, अश्लील , प्रत्यक्ष सम भोगीय पोर्न वीडियो नये नाबालिग यौवन की दहलीज पर कदम रखने वाले बालक बालिकाओं के यौवन  विकास की ओर परिवर्तनीय स्वरूप में बढ़ते कदम, पोर्न साइटें उनका दृश्यावलोकन जो इंटरनेट के माध्यम से सहज सुलभ है जो हर समय उपलब्ध हो जाने पर, घर घर पढ़ने लिखने वाले बच्चों के हाथ में मोबाइल होने के कारण यौन इच्छायें कम आयु में ही अवयस्कीय उम्र में भी पोर्न साइटों का दृश्यावलोकन विवाह से पूर्व ही विषय वासनामयी इच्छाओं का तन मन इन्द्रियों में सृजन करके अवयस्क बालक बालिकायें व्याभिचार, दुराचार , अनाचार की गिरफ्त में आकर चारित्रिक पतन के शिकार हो रहे हैं। इसने आज सर्वत्र वैवाहिक स्वरूप में कलंकित रुप ले रखा है , ले रहा है और जगह जगह दुष्कर्म की बलात्कार की घटनायें नित्य प्रतिदिन जीवन विनाशीय विभीत्षिका को जन्म दे रही हैं। सर्वत्र इस यौन वर्णित सेक्स भाव विचार धारा मानव मनो मस्तिष्क में गूंज रही है। जिसका परिणाम साक्षात प्रत्यक्ष नित्यप्रति विषम घटनाओं के रूप में सर्वत्र भारत में दृष्टिगोचर हो रहा है। भारतीय राष्ट्र सत्ता शासन सत्ता और इस भारत की नवीन पीढ़ी जो वर्तमान व भावी उज्वल भारत के निर्माण की कड़ी है वह आज नैतिक पतनकी गर्त में डूब रही है और यह पोर्न साइटें , शासकीय व्यवस्था नियम नीति अन्तर्गत यदि बंद नहीं की गयीं , इन्हें सम्पूर्णतया पूर्ण प्रतिबंधित नहीं किया गया तो बगैर मौत के अल्पायु में नव दम्पत्ति, बालक बालिकायें काल के गाल में इस इतने चारित्रिकीय पतन स्वरूप को लेकर अपनी जान और जीवन गंवाते हुए अपने मातापिता के  दुःख के स्रोत तो बनेंगे ही और भारत की प्राचीन संस्कृति सभ्यता मर्यादा आदर्श सब नष्ट ओर भ्रष्ट आचार में ऐतिहासिक दस्तावेज का रूप लेंगे। तो भारत की प्रतिष्ठा विश्वगुरु में तो नहीं ? परन्तु व्याभिचारीय अनाचारीय दुराचारीय रुप में अवश्य ही सर्वत्र विश्व में दृष्टिगोचर होगी । आज हम लोगों के पचास साल पूर्व हुए वैवाहिक स्वरूपीय रिश्ते आजतक सौहार्द पूर्ण मधुर रुप में पारस्परिक कायम हैं। और आज का वैवाहिक बंधन , लिवइन रिलेशन , कोर्ट मैरिज आदि से बने रिश्ते पारस्परिक प्रेम स्नेह तो छोड़ो ? इतना वीभत्स रूपीय हो रहा है कि पारस्परिक प्राणों का हरण कहीं तुरन्त कहीं थोड़े समय साथ रहने के ही काल में जान जीवन लेने देने वाला बन रहा है, सिद्ध हो रहा है । जो सर्वत्र भारत के गांवों गांवों में, गली मुहल्लों में, नगर नगर में दिखाई दे रहा है। इन सब स्थितियों का इतना विकृत रूप क्यों है ? ये विकृतियां निरन्तर दिनों दिन क्यों बढ़ रहीं हैं । इसे आप व हम सोच सकते हैं। इसका मूल कारण प्रत्यक्ष समागमीय, सम भोगीय वीडियो पोर्न साइटों के माध्यम से परोसने वाले रुप व रंग हैं । सोचो इस विषय से इनके अनाचारीय अश्लीलीय दृश्यावलोकन के प्रभावों से यह वीभत्स जानजीवन निगलनेवाली मन मस्तिष्कीय विषमता को वैचारिक स्वरूप से । ये तुरन्त बन्द की जानी चाहिए । इनके बन्द हो जाने पर देखना भारत में इन यौन इच्छाओं के विकृत स्वरूप में तन मन जीवन विनाशीय स्वरूपीय घटनाओं में कितनी कमी आ जायेगी । यह सभी भारत के लोग, शासन सत्ता , राजतंत्र , राजसत्ता स्वयं देखेगी । मैने ऐतिहासिक वर्णन वीर शिवाजी के काल का पढ़ा है। वीर शिवाजी के गुरुश्री समर्थ गुरु रामदासजी ने वीर शिवा जी का राज्य शासन जब मुगलों से मुक्त होकर विस्थापित हुआ तो श्री समर्थ रामदास जी ने शिवाजी महाराज को परामर्श कर सलाह दी व आदेश दिया कि अपनी राज्य सीमा में जगह – जगह व्यायामशालायें बनवाई जायें और उनमें वीर हनुमान की मूर्तियां विस्थापित की जायें जहां हमारे भारत की युवा पीढ़ी व्यायाम, कसरत , कुश्ती करके ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सुदृढ़ बलवान साहसी बने तथा ब्रह्मआचारीय श्रीहनुमान जी महाराज के वीर स्वरूप वीर चरित्र से प्रेरणा लेकर सबल सशक्त पौरुषवान पुरुषार्थवान बनें और यह वीर स्वरूपीय आदर्श विश्व में झंकार के रूप में पहुंचे, और कोई भी आतताई आक्रान्ताई हमारे भारत पर आंख उठा कर न देखे और ना ही देख सके । तो यह आदर्श था हमारे महामानवों सत्य तत्त वेत्ताओं के सत्य ज्ञान दर्शन का । और आज इतना वीभत्स पतन समाज मानव ( नर नारी , स्त्री पुरुष ) का और राजतंत्र का । जागो हे मेरे प्यारे आत्मिक भाइयों , प्यारे बालक बालिकाओं , युवा पीढ़ी के नौजवानों , माताओं , बहिनों , बेटियों । यह जन्म और जीवन कितना अमूल्य है ? मृत्यु उपरान्त कब उत्पन्न हो पता नहीं शरीर और जीवन कब मिले पता नहीं ? इस शरीर और जीवन का और अपने आयुकाल का सद् सत् सत्य उपयोग करो । सद् सत् सत्य उपभोग करो । आत्मा प्रकाश से , आत्म ज्ञान से , आत्म संयम से, आत्म नियंत्रण से और अपनी पूर्ण परमसत्य आत्मायी नीति नियमदर्शन विधान से

“बड़े भाग मानुष तन पाया और हम सभी ने इसे समझ न पाया , और इसे अज्ञानीय अंधता में पढ़े लिखे होकर भी यूं ही खोया , यूं ही गंवाया । ।  अरे मेरे प्यारे भाइयों , माताओं , बहिनों , बेटियों , बालक , बालिकाओं जीवन के सत्य को समझो , जीवन की सार्थकता को समझो  इसे सत्य से समझो और सत्य से जिओ । । ”  उच्च अच्छे व सच्चे बुद्धिजीवी पोर्न साइटों के बारे में विचार करें ? ये समाजीय इस दूषितता को बढ़ाने में मेरे दृष्टि दर्शन बुद्धि विवेक से 80 %  (अस्सी प्रतिशत ) मानव समुदाय के लिए अहितकारीय व दोषपूर्ण है। अतः इन्हे सम्पूर्णतया बन्द होना चाहिए अथवा बन्द हो जाना चाहिए । जो राष्ट्र हितकर व मानव चरित्र हितकर सत्य रूप में सिद्ध रहेगा व सिद्ध होगा ।

– डा० बनवारी लाल पीपर “शास्त्री”

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