उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का विरोध लगातार हो रहा तेज
उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर लगातार पांचवें दिन भी प्रदेशभर में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। समिति ने घोषणा की है कि निजीकरण की कोशिशों के विरोध में अगले सप्ताह भी यह प्रदर्शन जारी रहेगा।
संघर्ष समिति ने प्रबंधन द्वारा निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे तुरंत रद्द करने की मांग की है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि यह प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो ऊर्जा निगमों में उत्पन्न होने वाली औद्योगिक अशांति के लिए पूरी तरह से प्रबंधन जिम्मेदार होगा। पदाधिकारियों ने बताया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन 23 जनवरी को शक्ति भवन में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु प्री-बिडिंग कांफ्रेंस आयोजित करने जा रहा है, जिससे कर्मचारियों में पहले से मौजूद आक्रोश और बढ़ गया है।
संघर्ष समिति ने 23 जनवरी को प्री-बिडिंग कांफ्रेंस के दिन सभी बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंताओं से भोजन अवकाश के दौरान कार्यालयों से बाहर निकलकर व्यापक विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। समिति का कहना है कि कंसल्टेंट की नियुक्ति में बड़ी धनराशि खर्च होगी, जो कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है। इसे एक मिलीभगत का खेल करार देते हुए रोकने की मांग की गई है।
इस बीच, ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन जे.ई. संगठन की ओर से संगठन के अध्यक्ष जगदीश वर्मा, सचिव आलोक खरे, जितेंद्र नाथ, महेंद्र नाथ, नवीन कंजोलिया, राजकुमार, निशांत शर्मा, अंकित साहनी, शिवम साहू, संतोष कुमार, पूनम वर्मा, गौरव कुमार, मुकुल वर्मा, अजीम इसरार आदि उपस्थित रहे। संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से देवेंद्र कुमार, महीप, पवन, शिवम, सौरभ, सत्य प्रकाश, रामेंद्र पटेल, श्रवण कुमार, आर.सी. मनचंदा,गौरव पटेल,शिवम् झा, भरत चौधरी आदि ने भी सभा में भाग लिया और विरोध को समर्थन दिया।
आंदोलन को और तेज करने के लिए संघर्ष समिति ने 19 जनवरी को सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों में विरोध सभाओं का आयोजन करने की योजना बनाई है।