“अदभुत-विचार शक्ति”
विचारों में बडी शक्ति होती है, विचार ही जीवन का आधार है विचारों से ही हमारे कर्म बनते है और कार्य करने से ही भाग्य ।
ये विचार ही तो है जो चाहे तो इंसान को नीचे से ऊपर उठा दें और चाहे तो ऊपर से नीचे गिरा दें।
विचार बदल जाये तो घर स्वर्ग वन जाता है और विचार बदलने मात्र से ही घर मे सुख शान्ति वनी रह सकती है। हमे हमेशा दूसरो को गलत नही समझना चाहिये बल्कि सामने वाले को अपनी जगह रखकर विचार करना चाहिये कि बाकई जो सामने वाला कर रहा है वह गलत है अगर उसकी जगह हम होते तो वह ना करते जो सामने वाला कर रहा है लेकिन ऐसी विचार शक्ति के लिये भी ताकत होनी चाहिये सही को सही सोचने की और गलत को गलत।
लोग अंधाधुंध बस यही विचार करके जी रहे है कि हम सही है और सामने वाला गलत ।
आइये अब इस बात को उदाहरण से समझते है-
दीवाली की रात को पिता जी मिठाई की टोकरी लाये उस टोकरी में तरह-तरह की मिठाईयां थी अब क्या था टोकरी को देखते ही सभी बच्चे मठाईयो पर टूट पडे पप्पू परी, रीना की खुसी का ठिकाना ना था जिसके हाथ जो मिठाई आयी उसने वही उठा ली अब पूरे घर मे कोलाहल मच गया प्रत्येक बच्चे दोनो हाथो में मिठाई लिये है लेकिन दुर्भाग्य प्रत्येक बच्चा रो रहा है क्योंकि जिसको इमरती मिली वह कह रह लड्डू चाहिये जिसे लडडू मिला उसे रसगुल्ला चाहिये जिसे रसगुल्ला मिला वह बर्फी के लिये रो रहा है सब रो रहे है खूब कोलाहल हो रहा है। बच्चो की मां पडोंसी के घर गयी हुयी थी वहां उन्होने बच्चो की आबाज सुनी वह वापस आयी और कोलाहल के कारण को समझा।
अब क्या था सभी बच्चो को माँ ने प्यार से बैठाया और समझाया देखो बच्चो मिठाई सभी बच्चे बॉटकर खाओ वस्तुये बहुत है सबको प्रत्येक चीज मिल जायेगी रख दो सभी मिठाईयां टोकरी मे। अब मिठाईयां टोकरी मे रख दी गयी ठोकरी फिर से तैयार हो गयी और बच्चो के सामने रख दी गयी मां ने कहा एक दूसरे को खिलाकर खाओ अब परी कहती है पप्पू से ले यह इमरती तू खा ले पप्पू कहता है नहीं दीदी पहल तू खा ले। रीना मीना को और मीना परी को खाने को कहती है।
देखते ही देखते घर मे चारों ओर प्रेम की नदी वहने लगती है।
अब देखो, छत भी वही है, जमीन भी वही है, मिठाई भी वही है और बच्चे भी वही है परन्तु जो घर पहले और थोडी देर पहले ही नरक था अब वही घर स्वर्ग है क्यों ?
नाम अंजली पांडे
(अध्यापिका) विकासखंड कदौरा जालौन।